नक्सलियों ने कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को छोड़ दिया है. नक्सलियों से छूटने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी जवान से बात की है.
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रायपुरः बीजापुर के तर्रेम से लापता सीआरपीएफ के कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास (CRPF Cobra Battalion Soldier Rakeshwar Singh Manhas) को नक्सलियों ने छोड़ दिया है. सुरक्षाबलों के साथ बीजापुर में 3 अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने राकेश्वर को अगवा कर लिया था. राकेश्वर सिंह मन्हास के छूटने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उनसे फोन पर बातचीत कर उनका हालचाल पूछा है. इसके अलावा अमित शाह ने जवान के परिवार से भी बातचीत की है. राकेश्वर सिंह का परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहा था कि उन्हें नक्सलियों के कब्जे से सुरक्षित वापस लाया जाए.
सीएम बघेल ने भी जताई खुशी
कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास के सकुशल वापस लौटने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी खुशी जाहिर की है. सीएम बघेल ने कहा है कि केंद्र और राज्य के पुलिस अधिकारियों के प्रयासों से अपहरण किए गए जवान को रिहा कराने में सफलता मिली है. इसके लिए सभी बधाई के पात्र है. मुख्यमंत्री ने जवान की रिहाई के अभियान में मध्यस्थता करने वाले लोगों के प्रति भी आभार जताया है. सीएम ने रिहाई के अभियान में सहयोगी बने धर्मपाल सैनी, अन्य सामाजिक संस्थाओ के प्रतिनिधियों और स्थानीय पत्रकारों का आभार व्यक्त किया है.
नक्सलियों ने जवान को बना लिया था बंधक
दरअसल, 3 अप्रैल को तर्रेम के जंगलों में हुई नक्सली मुठभेड़ के बाद से ही कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास लापता थे. 6 अप्रैल को प्रेस नोट जारी करके नक्सलियों ने लापता जवान के कब्जे में होने की बात कही थी. जबकि नक्सलियों के कब्जे में होने की उनकी एक तस्वीर भी जारी हुई थी. इसके बाद माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने मंगलवार को एक प्रेस नोट जारी कर कहा था, पहले सरकार बातचीत के लिए मध्यस्थ का नाम घोषित करे, इसके बाद वह बंदी जवान को सुरक्षित रिहा कर देंगे. यह फोटो सामने आने के बाद से ही जवान की रिहाई को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे थे.
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ग्रामीणों की मौजदूगी में नक्सलियों ने जवान को छोड़ा
जवान को छुड़ाने में नक्सलियों ने सरकार द्वारा नियुक्त दो मध्यस्थों पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया समेत सैकड़ों ग्रामीणों व स्थानीय पत्रकारों की मौजूदगी में बिना किसी शर्त कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा किया. इस दौरान मौके पर बहुत से ग्रामीण भी मौजूद थे.
मेडिकल चेकअप किया गया
राकेश्वर को रिहाई के बाद मेडिकल चेकअप के लिए सबसे पहले तर्रेम में CRPF की 168 वीं बटालियन के कैंप में लाया गया. CRPF जवान की पत्नी मीनू ने उनकी रिहाई पर कहा, ''आज मेरे जीवन का सबसे खुशी वाला दिन है. मैं हमेशा उनकी सुरक्षित वापसी के लिए आशावान थी. मैं सरकार का धन्यवाद करती हूं.'' तीन अप्रैल को बीजापुर के जोनागुड़ा में नक्सलियों (Bijapur Naxal Attack) के साथ मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 31 घायल हुए थे.
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पत्नी ने PM मोदी से की थी राकेश्वर को वापस लाने की अपील
कोबरा जवान का परिवार जम्मू के नेत्रकोटि गांव में रहता है. राकेश्वर 2011 में CRPF में भर्ती हुए थे. तीन महीने पहले ही उनकी तैनाती छत्तीसगढ़ में हुई थी. वह सुरक्षाबलों के उस दल में शामिल थे जो बीजापुर-सुकमा के जंगलों में नक्सलियों के खात्मे के लिए गया था. राकेश्वर की सुरक्षित वापसी के लिए उनकी पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील की थी. उन्होंने कहा था कि गृह मंत्री किसी भी कीमत पर नक्सलियों के चंगुल से उनके पति की रिहाई सुनिश्चित करें. ठीक वैसे ही, जैसे भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन को पाकिस्तानी से छुड़ाकर लाया था.
नक्सलियों से छूटने के बाद परिवार में खुशी की लहर
वहीं नक्सलियों से छूटने के बाद जवान राकेश्वर सिंह मन्हास के परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. जवान की रिहाई की खबर मिलते ही उनकी पत्नी और मां की आंखों से आंसू निकल पड़े. दोनों एक-दूसरे के गले लगकर रो पड़ी. जवान की पत्नी मीनू ने कहा कि वे भगवान के बाद केंद्र और राज्य सरकार को शुक्रिया कहना चाहती हैं. मीनू ने मीडिया और फोर्स को भी धन्यवाद कहा है. उन्होंने कहा कि ये दिन उन्होंने बहुत मुश्किल से गुजारे हैं. लेकिन अब जवान के सकुशल वापस लौटने से परिवार में खुशियां फिर से वापस लौट आई हैं.
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