भिंड में अलसुबह बारिश की वजह से जर्जर हो चुकी जेल बिल्डिंग भरभरा कर गिरी गयी थी. बैरक 4, 5, 6, 7 में रखे गए 21 क़ैदी गम्भीर घायल हो गए थे. इस हादसे के बाद जेल में बचे हुए 234 क़ैदियों को ग्वालियर की सेंट्रल जेल में शिफ़्ट किया गया है. इस हादसे की सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ गई है.
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प्रदीप शर्मा/भिंड: भिंड जिला जेल के बैरक नंबर 7 की छत गिरने से 21 कैदी घायल हो गए. इस हादसे का खौफनाक वीडियो भी सामने आया है. वहीं कैदियों ने भी इस हादसे की पूरी कहानी बताई है. बता दें कि
आज सुबह बारिश की वजह से जर्जर हो चुकी जेल बिल्डिंग भरभरा कर गिरी गयी थी. इसमें बैरक 4, 5, 6, 7 में रखे गए 21 क़ैदी गम्भीर रूप से घायल हो गए. इस हादसे के बाद जेल में बचे हुए 234 क़ैदियों को ग्वालियर सेंट्रल जेल में शिफ़्ट किया गया है.
दरअसल, भिंड ज़िले में जारी बारिश का क़हर आख़िर जेल हादसे के रूप में सामने आया. बारिश की शुरुआत होते ही भिंड ज़िला जेल की छत टपकना शुरू हो गयी थी. जर्जर हो चुकी जेल की दो बैरक और बरांडा शनिवार सुबह भरभरा कर गिर गए. हादसे में बैरक नम्बर 7 में मौजूद 66 में से 21 क़ैदी गम्भीर रूप से घायल हो गए. जिन्हें इलाज के लिए तुरंत ज़िला अस्पताल भेजा गया. जहां एक क़ैदी की हालत नाज़ुक होने के चलते उसे ग्वालियर रेफर किया गया.
कैदी ने बताई हादसे की कहानी
कैदी विराज सिंह राजावत ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि रात में हुई बारिश की वजह से 7 नम्बर बैरक पूरी तरह ध्वस्त हो गयी थी. इन लोगों के जागने से पहले ही यह हादसा हो चुका था. अफ़रातफ़री के बाद जब लॉकअप खोला गया तो बाक़ी क़ैदियों ने भी जेल कर्मचारियों की मदद से मलबे में दबे क़ैदियों को बाहर निकाला. उसने बताया कि कुछ कैदी सो रहे थे जबकि कुछ उठने की तैयारी कर रहे थे.
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जेल प्रबंधन नहीं, सरकार दोषी
इस हादसे के लिए क़ैदियों ने जेल प्रबंधन की बजाय सरकार और जेल विभाग को दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि पिछले 8 साल से यह जेल जर्जर हालत में है. कैदियों की शिकायत पर कई बार जेल अधीक्षकों द्वारा सरकार और जेल विभाग को इस सम्बंध में जानकारी दो जा चुकी है, लेकिन उदासीन और अनदेखी के चलते 2008 से निर्माणाधीन नई जेल 13 साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हो सकी है. कैदियों का आरोप है कि जब जेल विभाग और शासन यह बात जनता है कि भिंड की वर्तमान जेल क़ैदियों के रहने लायक़ नहीं है, फिर भी उसमें क़ैदियों को रख कर उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा था.
ग्वालियर सेंट्रल जेल शिफ्ट किए गए कैदी
हादसे के बाद जेल में सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता की गई है. कैदियों को सेंट्रल जेल में शिफ़्ट किया गया है. तीन वाहनों के में प्रति वाहन में 25 क़ैदी ग्वालियर वहां भेजे गए हैं. बाकी बंदी शिफ्ट यह जा रहे हैं. वहीं सुरक्षा के लिए हर गाड़ी में नियमानुसार क़रीब सात सुरक्षाकर्मी साथ में भेजे गए हैं.
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जेल की तरफ भागे परिजन
हादसे की खबर लगते ही जेल में बंद कैदियों के परिजन भी पहुंच गए. वह अपने लोगों को देखने की ज़िद पर अड़ गए. कुछ देर में भीड़ अनियंत्रित होने लगी तो पुलिस और परिजनों के बीच हंगामा और झूमाझटकी भी देखने को मिली. स्थिति को देखते हुए भिंड एसपी ने महिला परिजन को अपने क़ैदियों को देखने की छूट दी. जेल में बंद अपने भाई से मिलकर आयी एक महिला ने बताया की उसके भाई को बस में बैठा दिया गया है. उसका भाई ठीक है.
कांग्रेस ने लगाया लापरवाही का आरोप
अटेर विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमंत कटारे जेल का झज्जा गिरने की घटना की जानकारी लगते ही जिला अस्पताल पहुंचे और बंदियों का हालचाल पूछा. उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की. कटारे ने आरोप लगाया कि कोई भी बिल्डिंग एकाएक नहीं गिर जाती. गुणवत्ता और उसके रखरखाव की जांच हर साल होती है जिसमें घोर लापरवाही बरती गई है, लिहाजा दोषियों पर कार्रवाई होना जरूरी है.
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जांच की बात कर रहे एसपी-कलेक्टर
वहीं इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए भिंड एसपी और कलेक्टर ने बताया कि जेल में हुए हादसे में क़ैदी घायल ज़रूर हुए हैं, लेकिन कोई जनहानी नहीं हुई है. मामले में कलेक्टर ने लापरवाही की जांच की बात भी कही है.
कैदियों के हिसाब से छोटी थी जेल
बता दें कि वर्तमान ज़िला जेल की हालत क़ैदियों की संख्या के हिसाब से जेल विभाग ने नवीन और बड़ी जेल निर्माण शुरू कराया था, लेकिन कभी ठेकेदार का भुगतान समय पर ना होने से यह नयी जेल का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है. जबकि कई बार जेल मंत्री लेकर जेल डीजी तक दौरे कर चुके हैं. कहा जा सकता है कि यदि निर्माण में लेट लतीफ़ी ना होती और नई जेल बनकर तैयार हो जाती तो शायद यह हादसा ना होता.
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