Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने दूसरी बार के विधायक हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन हेमंत को ही इस पद के लिए क्यों चुना गया इसके पीछे कई रीजन हैं.
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Hemant Katare Deputy Leader of Opposition: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने इस बार जिस तरह से सदन में नेताओं का चयन किया है, उससे एक बात साफ है कि पार्टी इस बार युवाओं के भरोसे आक्रमक तरीके से काम करना चाहती है. ग्वालियर-चंबल अंचल से आने वाले युवा विधायक हेमंत कटारे को कांग्रेस ने उप नेता प्रतिपक्ष बनाया है, जिसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. सभी इस बात को समझने में लगे हैं कि आखिर तमाम सीनियर विधायकों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष जैसी अहम जिम्मेदारी क्यों दी. लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने यह फैसला बेहद सोच समझकर लिया है. जिसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं.
युवाओं को बड़ा मैसेज
दरअसल, हेमंत कटारे कांग्रेस की हर गाइडलाइन पर फिलहाल खरे उतरे हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनका परिवार शुरुआत से ही गांधी परिवार से जुड़ा रहा है, इसके अलावा वह जातिगत समीकरण, अंचल की सियासत और युवा होने के नाते भी इस मामले में फिट बैठे हैं. राहुल गांधी ने हेमंत को उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देकर पार्टी के युवा नेताओं को लिए कई मैसेज भी दिए हैं, जिसमें सबसे अहम यह है कि अगर आप संगठन और पार्टी के लिए काम करेंगे तो आपको जिम्मेदारी मिलने से कोई नहीं रोक सकता.
जातिगत समीकरणों में हेमंत फिट
मध्य प्रदेश की सियासत पहली बार जातिगत समीकरणों के आधार पर तय हो रही है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस इस मामले में एक्टिव हैं. कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग से आने वाले जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष और आदिवासी वर्ग से आने वाले उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाया है, ऐसे में ब्राह्राण वर्ग से आने वाले हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है. जिसे बीजेपी के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला की काट पर देखा जा रहा है.
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ग्वालियर-चंबल अंचल से आते हैं हेमंत
हेमंत कटारे ग्वालियर-चंबल अंचल से आते हैं, जो प्रदेश की राजनीति में बेहद अहम माना जाता है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह इस बार चुनाव हार गए हैं, ऐसे में पार्टी के पास यहां एक दमदार नेता की कमी साफ दिख रही थी. जबकि बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर यहां पूरा संतुलन बनाया है, ऐसे में कांग्रेस ने भी 38 साल के हेमंत कटारे को आगे करके न केवल एक नई पीढ़ी को आगे किया बल्कि एक तेज तर्रार युवा नेता को लाकर बड़ा युवाओं के लिए बड़ा मैसेज दिया है.
कद्दावर मंत्री को हराकर जीते चुनाव
हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष का पद ईनाम के तौर पर भी देखा जा रहा है. उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता अरविंद भदौरिया को चुनाव हराया है. 2019 में कमलनाथ सरकार गिराने में भदौरिया की अहम भूमिका रही थी. वह कांग्रेस को लेकर सबसे ज्यादा आक्रमक रहते थे. लेकिन इस बार हेमंत कटारे उन पर भारी पड़े. खास बात यह है कि 2018 का चुनाव हारने के बाद से ही हेमंत विधानसभा क्षेत्र में सक्रिए थे. ऐसे में उन्होंने इस बार बड़ी जीत हासिल की है. ऐसे में अरविंद भदौरिया को हराने के बाद भी हेमंत का कद अब तेजी से कांग्रेस में बढ़ रहा है.
युवा होने का फायदा
कांग्रेस अब मध्य प्रदेश में नई पीढ़ी को स्थापित कर रही है, हेमंत कटारे दूसरी बार विधायक बने हैं, इससे पहले उन्होंने उपचुनाव जीता था. ऐसे में 38 साल के हेमंत को सदन उप नेता की जिम्मेदारी देकर कांग्रेस उनके आक्रमक तेवर का सदन में इस्तेमाल करना चाहती है. खास बात यह है कि हेमंत कटारे भले ही दूसरी बार विधायक बने हैं, लेकिन उनके पास राजनीतिक अनुभव अच्छा खासा है, क्योंकि उनके पिता स्वर्गीय सत्यदेव कटारे कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. ऐसे में पार्टी अभी से हेमंत को आगे कर रही है.
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