पोस्टमार्टम के बाद पुलिस नाबालिग पीड़िता के शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे विश्राम घाट ले गई.
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भोपालः प्यारे मियां यौन शोषण मामले की शिकार 17 वर्षीय नाबालिग पीड़िता की हमीदिया अस्पताल में गुरुवार को मौत हो गई थी. पीड़िता बालिका गृह में रह रही था, जहां उसने नींद की गोलियों का ओवरडोज ले लिया था, जो उसकी मौत का कारण बना. पुलिस ने पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम कराया. गुरुवार शाम कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस पीड़िता के शव को लेकर सीधे श्मशान घाट पहुंची, जहां परिजनों के सामने उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. वहीं मां घर पर बेटी के शव का इंतजार कर रही थी.
मृतक नाबालिग की दादी का आरोप है कि उनके बार-बार मांग करने के बावजूद पुलिस ने उन्हें बच्ची का शव नहीं सौंपा और अंतिम संस्कार कर दिया. परिजनों का यह भी कहना है कि बालिका गृह की संचालक उन्हें बेटी से मिलने नहीं देती थी न ही फोन पर बात करने देती थी. परिवार वालों को आशंका है कि उनकी बेटी को नींद की गोलियां खिलाई गई हैं, क्योंकि वह पहले कभी नींद की गोलियां नहीं खाती थी.
पुलिस ने परिजनों को 2 लाख का चेक दिया औऱ शव को सीधे श्मशाम घाट ले गई
पोस्टमार्टम के बाद पुलिस नाबालिग पीड़िता के शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे विश्राम घाट ले गई. अस्पताल में पीड़िता के चाचा और पिता ने उसके शव को आखरी बार घर ले जाने की जिद की थी, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी. इसी बीच बैरागढ़ एसडीएम मनोज उपाध्याय हमीदिया अस्पताल पहुंचे, उन्होंने पीड़िता के परिजनों को 2 लाख रुपए का चेक दिया. हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने पिता और चाचा को शव वाहन में बैठाकर विश्राम घाट रवाना कर दिया. इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम नाबालिग के घर गई और मृतिका की मां और महिलाओं को विश्राम घाट ले आई.
पुलिस ने खुद तैयार कराई अर्थी
विश्राम घाट पर पहले से पुलिस ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी. रिश्तेदार चीखते रहे कि इतनी जल्दी क्यों है. महिला रिश्तेदारों ने तो दो बार अर्थी तैयार नहीं होने दी, पर क्राइम ब्रांच टीम ने खुद इसे तैयार किया. पीड़िता की मां ने जब बेटी के शव को देखा तो वह सन्न रह गई. वह बेसुध हो गई. उसे अपनी बेटी की मौत के बारे में पता नहीं था. गुरुवार को बेटी की मौत की खबर मां को इसलिए नहीं दी गई थी कि कहीं उन्हें इससे सदमा न लगेत्र पीड़िता की मां ने मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की है.
इस घटना से खड़े होते हैं तमाम सवाल
बालिका गृह प्रबंधन पर सवाल खड़े होने लगे हैं कि नाबालिग तक इतनी बड़ी संख्या में नींद की गोलियां कैसे पहुंची? मृतका ने नींद की गोलियां क्यों खाई थी इसका कारण 3 दिन बाद भी साफ नहीं हो पाया है. क्या कारण रहा कि हाथरस की तरह मध्य प्रदेश की इस बेटी का शव आखरी बार उसके घर नहीं जाने दिया गया. पुलिस को जल्दीबाजी में अंतिम संस्कार का आदेश किसने दिया? कांग्रेस ने इस घटना की तुलना उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड से की है. यहां भी आरोप लगा था कि पुलिस ने बिना परिजनों की मर्जी के पीड़िता का अंतिम संस्कार उसके गांव के बाहर ही कर दिया था.
राहुल गांधी ने पूछा- कितनी बार दोहराया जाएगा हाथरस?
इस घटना को लेकर कांग्रेस मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ''हाथरस जैसी अमानवीयता कितनी बार दोहरायी जाएगी? भाजपा सरकार महिला सुरक्षा में तो फेल है ही, पीड़िताओं और उनके परिवार से मानवीय व्यवहार करने में असमर्थ भी है.''
कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर जमकर साधा निशाना
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया, ''बेहद निंदनीय, बेहद शर्मनाक. शिवराज सरकार में भांजियां कहीं भी सुरक्षित नहीं. प्रदेश की राजधानी में यौन शोषण की शिकार मासूम बच्चियां बालिका गृह में भी सुरक्षित नहीं. कितनी अमानवीयता, मृत पीड़िता को उसके घर तक नहीं जाने दिया. उससे अपराधियों जैसा व्यवहार, उसके परिवार को अंतिम रीति. रिवाजों से भी वंचित किया गया. यह कैसी निष्ठुर व्यवस्था? कहां हैं जिम्मेदार? प्रदेश को कितना शर्मशार करेंगे? मामला बेहद गंभीर. मामले की सीबीआई जांच हो. बाकी बालिकाओं को भी पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए. उनके इलाज की भी समुचित व्यवस्था हो. दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो.''
बेहद निंदनीय , बेहद शर्मनाक ....
शिवराज सरकार में भांजियाँ कही भी सुरक्षित नहीं ?
प्रदेश की राजधानी में यौन शोषण की शिकार मासूम बच्चियाँ बालिका गृह में भी सुरक्षित नहीं ?
कितनी अमानवीयता , मृत पीडिता को उसके घर तक नहीं जाने दिया ,
उससे अपराधियों जैसा व्यवहार ?— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) January 22, 2021
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