जबलपुरः भारत-चीन सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय अर्धसैनिक बल ITBP(Indo-Tibbet Border Police)के जिम्मे है. चीन की तरफ से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए आईटीबीपी को कम्युनिकेशन की आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है.
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जबलपुरः भारत-चीन सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय अर्धसैनिक बल ITBP(Indo-Tibbet Border Police)के जिम्मे है. चीन की तरफ से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए आईटीबीपी को कम्युनिकेशन की आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है. खास बात ये है कि आईटीबीपी के जवानों को इस आधुनिक तकनीक की ट्रेनिंग जबलपुर के भारत रत्न भीमराव अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग दे रहा है.
ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का मिलेगा फायदा
बता दें कि अभी आईटीबीपी के जवान संदेश भेजने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी पर निर्भर रहते हैं. लेकिन रेडियो फ्रीक्वेंसी की तकनीक में कई बार जवानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इस तकनीक को ट्रैक करना भी आसान है. ऐसे में सेना के खूफिया संदेश भी दुश्मन के हाथ लगने की आशंका बनी रहती है. यही वजह है कि देश की सरहदों पर वॉइस कम्युनिकेशन के लिए ऑप्टिकल फाइबर तकनीक पर काम किया जा रहा है.
सुरक्षाबलों को जल्द ही माइक्रो वेव सिस्टम मिलने जा रहा है. जिसकी ट्रेनिंग जबलपुर के भारत रत्न भीमराव अंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग में सुरक्षाबलों के जवानों को दी जा रही है. इस तकनीक की खासियत ये है कि इसे दुश्मन देश को कम्युनिकेशन की भनक नहीं लग पाएगी. इससे गोपनीयता बनी रहेगी. ट्रेनिंग के तहत जवानों को इस बात की जानकारी दी जाएगी कि इस सिस्टम पर किस तरीके से काम किया जाएगा? साथ ही उसे किस तरह से ठीक किया जाएगा, इसकी भी जानकारी दी जाएगी. ये ट्रेनिंग 22 फरवरी से 19 मार्च 2021 तक चलेगी. जिसमे OFC, MNTC, MICROWAVE और RF लिंक्स की ट्रेनिंग शामिल है.
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बता दें कि आईटीबीपी की स्थापना 24 अक्टूबर 1962 में की गई थी. यह बल भारत चीन सीमा पर काराकोरम दर्रे से लिपुलेख दर्रे और भारत-नेपाल-चीन त्रिसंगम तक 2115 किमी की लंबाई में फैली सीमा की रक्षा करता है.