कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों पर निशाना साधते हुए लिखा कि इंदौर स्वच्छता में तो अभी प्रथम हुआ है मगर मानवीय संबंधों में प्रथम पहले से है, इंदौर की पहचान नष्ट ना होने दे.
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इंदौरः देश के सबसे साफ शहर इंदौर में बेसहारा बुजुर्गों के साथ हुए अभद्र व्यवहार की घटना के बाद देशभर के लोगों ने इस मामले में नाराजगी जताई है. वही बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मामले में एक इमोशनल ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा की ''मैं मन से बहुत दुखी हूं'' इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गृह नगर है और वे इंदौर नगर-निगम के मेयर भी रह चुके हैं.
इंदौर स्वच्छता में तो अभी प्रथम हुआ है मगर मानवीय संबंधों में प्रथम पहले से है।
इंदौर की पहचान नष्ट ना होने दे।
मैं मन से दु:खी हूँ।
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) January 30, 2021
इंदौर की पहचान नष्ट ना होने देः विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों पर निशाना साधते हुए लिखा कि इंदौर स्वच्छता में तो अभी प्रथम हुआ है मगर मानवीय संबंधों में प्रथम पहले से है, इंदौर की पहचान नष्ट ना होने दे. खास बात यह है कि इस घटना पर कैलाश विजयवर्गीय ने केवल एक ट्वीट किया. लेकिन उनके इस छोटे से ट्वीट में ही बड़ा संदेश छुपा है. विजयवर्गीय ने एक तरह से इस घटना इंदौर की स्वच्छता पर एक धब्बे की तरह बताया.
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बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे छोड़ने पहुंचे थे नगर निगम के कर्मचारी
दरअसल, इंदौर नगर-निगम के कर्मचारी एक कचरा गाड़ी में शहर के बेसहारा बुजुर्गों को पशुओं की तरह भरकर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे छोड़ने आए थे. लेकिन जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो नगर निगम कर्मचारी बुजुर्गों को गाड़ी में वापस भरकर ले गए. इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ है. घटना को लेकर एक स्थानीय युवक ने बताया कि इंदौर नगर-निगम के कर्मचारी इन बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे छोड़कर भागने वाले थे. बुजुर्गों को इस तरह बैठाया गया था जैसे वे कोई जानवर हो. निगम कर्मचारी इन बुजुर्गों को इधर छोड़कर भागने वाले थे. लेकिन स्थानीय लोगों ने कहा कि इन बुजुर्गों को इस तरह से यहां नहीं छोड़ना चाहिए.
ग्रामीणों ने किया विरोध
जब निगम कर्मचारी नहीं माने तो ग्रामीणों उनका विरोध शुरू कर दिया है. गांव वालों ने जब निगम कर्मचारियों का वीडियो बनाना शुरू किया. तो आनन-फानन में इन बुजुर्गों को फिर से कचरा गाड़ी में बैठाया और वापस लेकर इंदौर चले गए. युवक ने बताया कि नगर-निगम के कर्मचारियों ने करीब 15 से 20 बुजुर्गों को गाड़ी में एक-दूसरे के ऊपर लादकर बिठाया था. इनमे से कई लागों की हालत तो इतनी खराब थी की वे ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे. निगम कर्मचारियों ने उन्हें गाड़ी से उठाकर नीचे बिठा दिया था.
सीएम ने जताई थी नाराजगी
हालांकि विरोध के बाद स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें फिर से गाड़ी में बिठाया गया और वापस इंदौर भेजा गया है. मामला सामने आने के बाद इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त, अभय राजनगांवकर ने निगम कर्मचारियों की गलती स्वीकार की है. मामले में दो कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी. जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस मामले में नाराजगी जाहिर की थी.
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