जानें भारत को कैसे वापस मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति, जो 107 साल पहले बनारस से हो गई थी चोरी
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जानें भारत को कैसे वापस मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति, जो 107 साल पहले बनारस से हो गई थी चोरी

हम आपको बता रहे हैं कि 107 साल पहले चोरी हुई अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति का कैसे पता लगा और इसे वापस भारत लाने का रास्ता कैसे निकला.

बनारस के मंदिर से 1913 में चोरी हुई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी में रखी थी. (PC: Twitter))

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 29 नवंबर को 'मन की बात' कार्यक्रम में देश की जनता को बताया था कि करीब 107 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है. यह मूर्ति 18वीं शताब्दी की बताई जा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा था, ''हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी मूर्ति कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है.

इस मूर्ति को 107 साल पहले 1913 में वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर तस्करी के जरिए देश से बाहर भेज दिया गया था. माता अन्नपूर्णा का काशी के साथ एक बहुत विशेष जुड़ाव है. चोरी हुई मूर्ति का वापस आना हम सबके​ लिए काफी खुशी की बात है. अन्नपूर्णा माता की मूर्ति की तरह ही हमारी बहुत सारी विरासतें अंतरराष्ट्रीय गिरोहों के निशाने पर रही है.'' हम आपको बता रहे हैं कि 107 साल पहले चोरी हुई अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति का कैसे पता लगा और इसे वापस भारत लाने का रास्ता कैसे निकला.

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कनाडा कैसे पहुंची मां अन्नपूर्णा की मूर्ति?
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं. इस मूर्ति का निर्माण बनारसी शैली में 18वीं शताब्दी में हुआ था. अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी. इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत  के मुताबिक बनवाया गया था. पिछले साल विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था.

उन्होंने गैलरी में रखीं प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया. उनकी नजर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति पर पड़ी. उन्होंने पहले सोचा कि यह भगवान विष्णु की मूर्ति है, लेकिन महिला रूप देखकर दिव्या मेहरा सोचने पर मजबूर हुईं. मूर्ति के एक हाथ में खीर का कटोरा था और दूसरे हाथ में दंड. जब उन्होंने रिकॉर्ड्स खंगाला तो पता चला कि 1913 में एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी, जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने एक्वायर किया था.

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अमेरिका के पीबॉडी एसेक्स म्यूजियम में इंडियन एंड साउथ एशियन आर्ट के क्यूरेटर सिद्धार्थ वी शाह को मूर्ति की पहचान करने के लिए मैकेंजी आर्ट गैलरी बुलाया गया. उन्होंने ही कंफर्म किया कि यह मूर्ति देवी अन्नपूर्णा की है, जिसे 1913 में वाराणसी के एक मंदिर से चुरा लिया गया था. सिद्धार्थ वी शाह ने बताया कि यह देवी अन्नपूर्णा हैं जिनके एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है. ये चीजें अन्न की देवी से जुड़ी हुई हैं, जो प्राचीन वाराणसी शहर की देवी भी हैं.

दिव्या मेहरा ने अपने रिसर्च से साबित किया कि वकील नॉर्मन मैकेंजी ने 1913 में अपनी भारत यात्रा के दौरान देवी अन्नूपूर्णा की इस मर्ति पर गौर फरमाया था. एक अनजान व्यक्ति ने मैकेंजी को यह कहते सुना था कि वह इस मूर्ति को पाना चाहते हैं. उस व्यक्ति ने मैकेंजी के लिए अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को बनारस में गंगा किनारे स्थि​त मंदिर से चुरा लिया था.

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मूर्ति की भारत वापसी कैसे संभव हुई?
दिव्या मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ जॉन हैम्प्टन से इस बारे में बात की. उनसे दरख्वास्त की कि इस मूर्ति को भारत को लौटाना चाहिए. मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों ने दिव्या मेहरा की बात मान ली. बनारस से 107 साल पहले चोरी हुई अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति मिल गई है, इस बात का पता ओटावा स्थित इंडियन हाई कमीशन को चला. भारतीय अधिकारियों ने डिपार्टमेंट ऑफ कनेडियन हेरिटेज से संपर्क साधा और अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को प्रत्यावर्तित करने की बात रखी. कनाडा सरकार ने अपनी सहमति दे दी और इस तरह मां अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति के भारत आने का रास्ता साफ हुआ.

इस मूर्ति के भारत वापसी की यात्रा शुरू हो चुकी है. दिसंबर मध्य तक इसके वाराणसी पहुंचने की उम्मीद है. बीते 19 नवंबर को मूर्ति को वापस करने के लिए एक वर्चुअल कार्यक्रम में सभी जरूरी दस्तावेजी काम पूरे कर लिए गए हैं. कार्यक्रम में रेजिना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर टॉमस चेज ने कहा, ''एक यूनिवर्सिटी होने के नाते हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐतिहासिक ग​लतियों को सुधारा जाए और उपनिवेशवाद के दौर में दूसरे देशों की विरासत को जो नुकसान पहुंचा है उसे ठीक करने की ​हर संभव कोशिश करें. इस मूर्ति को लौटाने मात्र से हम 107 साल पहले हुई गलती को ठीक नहीं कर सकते. लेकिन यह एक महत्वपूर्ण और उचित काम है, जिसे हम आज कर रहे हैं.''

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मूर्ति के भारत आने के बाद क्या होगा?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक कनाडा से वापस लाई जा रही माता अन्नपूर्णा की मूर्ति दिसंबर मध्य में दिल्ली लैंड करेगी. दूसरे देशों से प्रत्यावर्तित कर भारत लाई जाने वाली ऐसी प्राचीन मर्तियों और विरासतों का आधिकारिक कस्टोडियन एएसआई ही होता है. भारत आने के बाद मूर्ति का विस्तृत सत्यापन कर जरूरी दस्तावेजी कार्यों को पूरा किया जाएगा.

इसके बाद यह फैसला होगा कि मूर्ति किसकी कस्टडी में रहेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देव दीपावली के मौके पर वाराणसी में दिए गए अपने भाषण में कहा था कि अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति काशी को जल्द ही वापस मिलेगी. वाराणसी में चोरी से पहले मां अन्नपूर्णा की मूर्ति जहां स्थापित थी, एएसआई ने उस स्थान की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है, जो कमियां मिली हैं उन्हें दूर करने की कार्रवाई शुरू कर चुका है.

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