लता मंगेशकर की आज 93वीं जयंती है. लता मंगेशकर के संगीत की जितनी चर्चा होती है, उतनी चर्चा लता मंगेशकर के निजी जीवन की नहीं होती. लता मंगेशकर ने भी अपनी निजी जीवन पर सार्वजनिक रूप से ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी प्रेम कहानी की खूब चर्चा होती है. तो आइए जानते हैं क्या है ये कहानी...
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नई दिल्लीः भारत रत्न लता मंगेशकर की आज 93वीं जयंती है. लता मंगेशकर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर 1929 को एक मराठी परिवार में हुआ था. क्वीन ऑफ मेलोडी, स्वर कोकिला और नाइटिंगल ऑफ इंडिया जैसे नामों से पहचानी जाने वाली लता मंगेशकर की आवाज और उनकी संगीत यात्रा पर खूब बातें होती हैं लेकिन उनके जीवन का एक किस्सा ऐसा भी है, जिस पर भी मीडिया में खूब चर्चा होती है. दरअसल ये किस्सा है लता मंगेशकर की कथित प्रेम कहानी का.
राजकुमार को दिल दे बैठीं थी लता मंगेशकर
दरअसल लता मंगेशकर राजस्थान की डूंगरपुर रियासत के राजकुमार राज सिंह डूंगरपुर को पहली मुलाकात में ही दिल दे बैठीं थी. हालांकि यह बात उन्होंने या राज सिंह डूंगरपुर ने कई सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं की लेकिन दोनों को जानने वाले कई लोग यह बताते हैं कि दोनों के बीच बहुत ही मधुर और अंतरंग संबंध थे.
क्रिकेट से प्यार लाया नजदीक
राजसिंह डूंगरपुर लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर के दोस्त थे और उनका मंगेशकर परिवार के घर आना जाना था. राजसिंह डूंगरपुर प्रोफेशनल क्रिकेटर भी रहे और लता मंगेशकर की क्रिकेट की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं. कहा जाता है कि लता मंगेशकर राजसिंह डूंगरपुर को देखते ही दिल दे बैठीं थी. दोनों अक्सर मिलते भी थे. राजसिंह डूंगरपुर के करीबी रहे गोपेंद्र भट्ट ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि दोनों अक्सर साथ में विदेश घूमने भी जाया करते थे. लता मंगेशकर के कई विदेशी टूर पर राज सिंह डूंगरपुर साथ रहे. उन्होंने बताया कि जिस टूर के दौरान मशहूर गायक मुकेश का निधन हुआ था, उस टूर पर भी राजसिंह डूंगरपुर लता मंगेशकर के साथ थे.
कहा जाता है कि दोनों ने गुपचुप शादी भी की थी, हालांकि दोनों ने कभी भी इस पर कुछ नहीं बोला और ना ही इसका कोई प्रमाण है. दोनों का एक दूसरे के प्रति समर्पण इसी बात से समझा जा सकता है कि दोनों जीवनभर अविवाहित रहे. ऐसा कहा जाता है कि राजसिंह डूंगरपुर का परिवार दोनों के रिश्ते के खिलाफ था और यही वजह रही कि दोनों शादी नहीं कर पाए.
राजसिंह डूंगरपुर ने राजस्थान के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और वह लंबे समय तक खेल प्रशासक रहे. सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले की प्रतिभा को राजसिंह डूंगरपुर ने ही पहचानकर दोनों को भारतीय टीम में मौका दिया था. मोहम्मद अजहरुद्दीन को भारतीय टीम का कप्तान बनाने का फैसला भी राजसिंह डूंगरपुर का ही था!