एक वक्त जिन MBA संस्थानों में जाकर पढ़ाई करना प्रफुल्ल बिल्लोरे का सपना था. आज वही संस्थान प्रफुल्ल को अपने यहां बतौर मैनेजमेंट गुरू लेक्चर देने के लिए बुलाते हैं.
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नई दिल्लीः अगर आप जिंदगी में कुछ ठान लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. इस बात को सच करके दिखाया है एमपी के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले प्रफुल्ल बिल्लोरे ने. प्रफुल्ल बिल्लोरे का चाय बेचने का बिजनेस है और आज वह इतने सफल हैं कि उनके बिजनेस का टर्नओवर करोड़ों में है. तो आइए जानते हैं प्रफुल्ल बिल्लोरे की प्रेरक कहानी-
CAT परीक्षा की तैयारी से शुरू हुई कहानी
प्रफुल्ल बिल्लोरे का कहना है कि वह बीकॉम करने के बाद इंदौर में रहकर एमबीए में एडमिशन पाने के लिए कैट (कॉमन एडमिशन टेस्ट) की तैयारी कर रहे थे. हालांकि तीन साल तक परीक्षा की तैयारी करने के बाद भी प्रफुल्ल उतनी परसेंटेज नहीं ला सके, जितनी देश के टॉप एमबीए कॉलेज में एडमिशन के लिए जरूरी होती है. ऐसे में हताश होकर प्रफुल्ल ने तैयारी बंद करने का फैसला किया. हालांकि प्रफुल्ल के माता-पिता चाहते थे कि वह किसी कम प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन लेकर एमबीए कर ले. हालांकि प्रफुल्ल इसके लिए तैयार नहीं थे.
अहमदाबाद से शुरू हुई कहानी
प्रफुल्ल बिल्लोरे बताते हैं कि पढ़ाई बंद करने के बाद वह कई शहर घूमे, जिनमें दिल्ली, मुंबई आदि बडे़ शहर शामिल हैं. इसके बाद प्रफुल्ल अहमदाबाद पहुंच गए. प्रफुल्ल को अहमदाबाद शहर पसंद आया तो उन्होंने कुछ दिन अहमदाबाद में ही बिताने की सोची. इस दौरान प्रफुल्ल को यह भी ख्याल आया कि वह जिंदगी भर ऐसे ही एक जगह से दूसरी जगह नहीं घूम सकते और उन्हें कुछ ना कुछ काम तो करना ही पड़ेगा. इसलिए प्रफुल्ल ने अहमदाबाद में मैकडॉनल्ड में नौकरी कर ली. यहां प्रफुल्ल को 37 रुपए प्रति घंटे की दर से पैसे मिलते थे और वह दिन में करीब 12 घंटे काम करते थे. इस तरह प्रफुल्ल ने मैकडॉनल्ड में कुछ समय तक काम किया.
ऐसे आया चाय का बिजनेस शुरू करने का आइडिया
प्रफुल्ल बिल्लोरे ने बताया कि नौकरी करते हुए उन्हें एहसास हुआ कि वह जिंदगी भर मैकडॉनल्ड की नौकरी नहीं कर सकते हैं. इसलिए उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की सोची. लेकिन बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे, प्रफुल्ल के पास नहीं थे. ऐसे में प्रफुल्ल ने ऐसा बिजनेस करने के बारे में सोचा जिसमें कम पूंजी लगे. इस तरह प्रफुल्ल को चाय का काम शुरू करने का आइडिया आया. काम की शुरुआत के लिए प्रफुल्ल ने अपने पिता से झूठ बोलकर पढ़ाई के नाम पर 10 हजार रुपए मांगे. इन पैसों से प्रफुल्ल ने चाय का ठेला लगाना शुरू किया.
चलता काम बंद करना पड़ा था
प्रफुल्ल बिल्लोर बताते हैं कि शुरुआत में उनका चाय का ठेला नहीं चला. जिस पर उन्होंने खुद चाय प्लेट में रखकर लोगों के पास जाने का फैसला किया. प्रफुल्ल बताते हैं कि जब वह चाय लेकर लोगों के पास जाते और उनसे इंग्लिश में बात करते तो लोग हैरान रह जाते. इस तरह धीरे धीरे प्रफुल्ल के ग्राहक बढ़ते चले गए और उनका कमाई हर महीने हजारों रुपए में पहुंच गई. प्रफुल्ल बताते हैं कि उन्होंने अपने टी स्टाल का नाम मिस्टर बिल्लोरे अहमदाबाद चायवाला रखा था. जिसे वह शॉर्ट में एमबीए चायवाला कहते हैं. इस तरह एमबीए चायवाला के नाम से प्रफुल्ल का काम चल निकला.
हालांकि यहां भी परेशानी खत्म नहीं हुई. दरअसल जहां प्रफुल्ल अपना ठेला लगाते थे, वहां से उन्हें हटा दिया गया. इसके बाद भी प्रफुल्ल ने हार नहीं मानी और एक क्लीनिक के बाहर रेंट पर थोड़ी सी जगह में चाय का काम फिर से शुरू किया. इस तरह आगे बढ़ते-बढ़ते आज प्रफुल्ल बिल्लोरे का बिजनेस एमबीए चायवाला आज इतना बढ़ गया है कि करीब 30 लोग उनके साथ काम करते हैं और अब उनका सालाना टर्नओवर करीब 3 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.
देश के टॉप संस्थानों में देने जाते हैं लेक्चर
एक वक्त जिन एमबीए संस्थानों में जाकर पढ़ाई करना प्रफुल्ल बिल्लोरे का सपना था. आज वही संस्थान प्रफुल्ल को अपने यहां बतौर मैनेजमेंट गुरू लेक्चर देने के लिए बुलाते हैं. प्रफुल्ल की लाइफ का मंत्र है कि 'कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है और हर चीज से पैसा कमाया जा सकता है, बस आपको कमाना आना चाहिए'.
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