मध्य प्रदेश में भी नवंबर में होने वाले छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं. वैसे तो छठ मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है, लेकिन एमपी में भी इसकी तैयारियां जोरों से चल रही हैं.
हिंदू कथाओं के मुताबिक, छठ पर्व का इतिहास महाभारत काल से जुड़ता है. इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने मनाया था. कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के बहुत बड़े उपासक थे.
छठ पूजा मुख्यरूप से बिहार में मनाया जाता है. दिवाली के बाद हर कोई छठ घाट की सफाई में लग जाता है. बड़े उत्साह से इस त्यौहार को बिहार के लोग मनाते हैं. लेकिन अब देश के अन्य राज्यों में भी इसकी शुरुआत हो गई है.
इस साल छठ पूजा की शुरूआत 17 नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होगी. 19 नवंबर को संध्य अर्घ्य और 20 नवंबर को सुबह की अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होगा.
छठ पर्व की तैयारी जहां बिहार में तो चल ही रही है लेकिन मध्य प्रदेश के सतना शहर में भी छठ की तैयारियों शुरू हो गई हैं.
सतना शहर में भी छठ पर्व को लेकर तैयारियां तेज हैं, शहर के प्रमुख जलाशय, घाट, तालाब में घाटों की साफ़ सफाई की जा रही है. छठ पूजा में साफ सफाई का बहुत महत्व होता है.
छठ पूजा में नदी, पोखर और तलाबों का बहुत अधिक महत्व होता है. घाटों में स्नान करके ही भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. सतना के संतोषी माता मंदिर तालाब जगतदेव तालाब, करही तालाब सहित सतना नदी के तट पर इस बार छठ पूजा मनाया जायेगा.
छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव और षष्ठी मैया के साथ ही कहीं-कहीं शिव जी की पूजा भी की जाती है.
प्रथम दिन नहाय खाय नहाय खाय के साथ हर बार छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रतियां सब से पहले नदी में स्नान करती हैं और इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाती हैं. उसके बाद अगले चार दिनों तक छट की धूम मचती रहती है.
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