Positive Story: महादान की कहानी! देहदान कर चर्चा में आए रमेश चंद्र जैन, मरणोपरांत रिटायर्ड शिक्षक बने मिसाल
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Positive Story: महादान की कहानी! देहदान कर चर्चा में आए रमेश चंद्र जैन, मरणोपरांत रिटायर्ड शिक्षक बने मिसाल

Positive Story: भिंड के एक रिटायर्ड शिक्षक रमेश चंद्र जैन ने मिसाल पेश की है. वो इन दिनों देहदान कर चर्चा में आ गए हैं. आइये जानते हैं उनकी पूरी कहानी.

Positive Story: महादान की कहानी! देहदान कर चर्चा में आए रमेश चंद्र जैन, मरणोपरांत रिटायर्ड शिक्षक बने मिसाल

Positive Story: भिंड जिले के मेहगांव कस्बे में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक और समाजसेवी रमेश चंद्र जैन ने मरणोपरांत अपनी देहदान कर समाज में मिसाल कायम की है. आज रमेश चंद जैन की मृत्यु उपरांत उनके बेटों ने जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर को पिता की बॉडी मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए सुपुर्द कर दी है.

परिवार के साथ ली थी शपथ
दरअसल बीते साल 2018 में महावीर गली मेहगांव के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक रमेश चंद्र जैन पत्नी दया जैन, बेटे संजीव जैन ने शरीर दान करने की इच्छा जताते हुए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में दान पत्र तैयार कर प्रस्तुत किया था. 83 साल की उम्र में रमेश चंद जैन का आज सुबह निधन हो गया.

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मेडिकल टीम को सौंपा गया शव
निधन बाद उनके बेटे मनोज जैन और संजीव जैन ने ग्वालियर जीआर मेडिकल को कॉलेज को सूचना की और वहां से मेहगांव पहुंचा शव वाहन उनकी सब को मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए ग्वालियर ले गया. मेहगांव नगर में इस तरह का नजारा पहली बार बार दिखा जहां रमेश चंद्र के सब को सैकड़ो लोग शमशान लेकर पहुंचे जहां पर उनकी अंतिम क्रिया न करते हुए "सव" को मेडिकल टीम के सुपुर्द कर दिया गया.

परिवार के दो और लोग करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन
रमेश चंद्र के इस कदम की समूचे इलाके में प्रशंसा हो रही है और यह देहदान का साहसिक फैसला समूचे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. रमेश चंद्र जैन के बेटे और उनके भतीजे डॉ योगेश जैन का कहना है कि उनके परिवार में उनकी मां दया जैन और उनके भाई संजीव जैन भी मरणोपरांत अपनी देहदान का रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं.

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योगेश जैन का कहना है कि एक और जहां लोगों को उनकी आंखों से ज्योति मिलेगी तो दूसरी ओर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए पिता का शरीर काम आएगा. डॉक्टर्स बीमारियां ठीक कर समाज की सेवा कर सकेंगे.

बेटे ने कहा मोटिवेट करने वाली बात
बेटे मनोज जैन का मानना है कि लोगों को आगे आकर इस प्रकार के सामाजिक हितों के कार्यों को करना चाहिए. अगर उनके इस काम से कुछ लोग भी मोटिवेट होकर शरीर अथवा अंगदान करते हैं तो उनका यह प्रयास सफल माना जाएगा.

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