ग्वालियर में बच्चों में एंटीबाडी का पता लगाने के लिए ग्वालियर जिला प्रशासन एक नया प्रयोग कर रहा है.
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शैलेन्द्र सिंह भदौरिया/ ग्वालियरः कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश में अभी से काम शुरू हो गया है. ग्वालियर जिला प्रशासन ने यह पता लगाने की तैयारी की है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर कितना असर करेगी.
400 बच्चों का होगा न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट
दरअसल, बच्चों में एंटीबॉडी को जांचने के लिए ग्वालियर जिला प्रशासन बच्चों का न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराएगा. जिसके लिए ग्वालियर जिले के करीब 400 बच्चों को चिन्हिंत किया गया है, 200 बच्चे शहरी इलाके के होंगे और 200 ग्रामीण इलाके के होंगे. खास बात यह है कि इन बच्चों में आधे बच्चे ऐसे होंगे जिनके परिजनों को कोरोना हो चुका है, जबकि आधे बच्चे वह होंगे जिनके परिवार में कोई संक्रमित नहीं हुआ है.
बच्चों में कितनी बनी एंटीबॉडी
इस न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट के माध्यम से यह पता किया जायेगा कि बच्चों में कितनी एंटीबॉडी तैयार हुई है और वह किस प्रकार की है. अगर बच्चों में एंटीबाडी तैयार हुई है तो वह आने वाली लहर में कोरोना संक्रमण से लड़ पाएंगी या नहीं. इस प्रयोग से यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी अगर किसी बच्चे में एंटीबॉडी बनी है तो कोरोना की तीसरी लहर उस पर प्रभावी होगी या फिर वह इससे सुरक्षित रहेगा.
इस मामले में ग्वालियर के सीएमएचओ मनीष शर्मा का कहना है कि न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराने वाला ग्वालियर मध्य प्रदेश का पहला जिला है, यह किट बहुत ही महंगी आती है इसको लेकर सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है. फिलहाल मौखिक तौर पर अभी हरी झंडी मिल चुकी है, जल्द ही बजट मिल जाएगा और उसके बाद न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
बच्चों पर ज्यादा असर कर सकती है तीसरी लहर
बताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर करेगी. ऐसे में अभी से बच्चों को तीसरी लहर से बचाने के प्रयास शुरू हो गए हैं. ग्वालियर जिला प्रशासन का यह प्रयास भी इसी का एक प्रयोग माना जा रहा है. इसके अलावा तीसरी लहर को रोकने के लिए बच्चों के अभिभावकों ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन लगवानी चाहिए.
क्या होता है न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट
दरअसल, न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिससे शरीर में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है. यह एक ऐसी एंटीबॉडी है जो कोरोना वायरस को निष्प्रभावी करने के लिये शरीर द्वारा विकसित किया जाता है. यह एंटीबॉडी वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए बेअसर कर देता है और सीधे मानव शरीर को संक्रमण से बचाते हैं. न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी शरीर में वायरस द्वारा कोशिका को संक्रमित करने से रोकता है. इस एंटीबॉडी के कारण कोशिका का जैविक प्रभाव बाधित नहीं होता और मरीजों में सार्स सीओवी -2 वायरस के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण होता है. इसी टेस्ट के जरिए ग्वालियर में भी बच्चों में एंटीबॉडी
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