Chhattisgarh News: आज हम आपको छत्तीसगढ़ की उस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सबसे पहले प्रभु श्री राम के चरण पड़े थे. और जहां माता सीता की रसोई थी.
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सरवर अली/कोरिया: कहा जाता है कि भगवान राम ने वनवास का काफी वक्त दंडकारण्य में बिताया था और ये आज का छत्तीसगढ़ है. इसके हिसाब से भगवान राम का काफी वक्त छत्तीसगढ़ में बीता. आज हम आपको छत्तीसगढ़ की उस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सबसे पहले प्रभु श्री राम के चरण पड़े थे. बता दें कि छत्तीसगढ़ के राजीम, सिहावा, घटुला, धमतरी से भी प्रभु श्री राम जी का गहरा नाता है.
प्रभु श्री राम का पद चिन्ह
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के भरतपुर विकास खण्ड से 30 किलोमिटर दूरी में बहने वाली मवाई नदी के किनारे स्थित इस सीतामढ़ी हरचौका की गुफा में 17 कक्ष है. इसे माता सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है. यहां एक शिलाखंड भी है जिसे लोग भगवान राम का पद चिन्ह मानते हैं. मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काटकर बनाए गए 17 कक्षाओं में 12 कक्ष में शिवलिंग स्थापित है. इस स्थान को हरचौका अर्थात सीता की रसोई के नाम से जाना जाता है. आपको बता दें प्रभु श्रीराम चित्रकूट में वनवास का समय बिताने के बाद मध्यप्रदेश के सतना और सीधी के रास्ते छत्तीसगढ़ के हरचोका मवाई नदी होते हुए आये थे. छतीसगढ़ में प्रभु श्रीराम का पहला प्रवेश भरतपुर ब्लाक के हरचोका में हुआ था. जहां सीतामढ़ी स्थित है, जो मध्यप्रदेश की सीमा से लगी हुई है.
चार माह यहां रुके थे श्रीराम
जानकार बताते हैं कि त्रेता युग मे इसका निर्माण पत्थरों की गुफा को काटकर प्राकृतिक रूप से कराया गया था. यहां भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इसका निर्माण किया था और चार माह के लिये यहां प्रभु श्रीराम के साथ सीता मईया और भाई लक्ष्मण रुके थे. सीतामढ़ी के किनारे से मवई नदी निकली हुई है. सीतामढ़ी में बारह ज्योतिर्लिंगो के अलावा कई मूर्तिया स्थापित हैं.
आए दिन लगे रहता है भक्तों का तांता
पूर्व में रही छतीसगढ़ सरकार द्वारा यहां तक पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग सीतामढ़ी हरचौका तक बना हुआ है. स्वागत द्वार बने है. सीतामढ़ी के चारों ओर बाउंड्रीवाल बनी हुई है. नदी के किनारे घाट का निर्माण किया गया है. छतीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के अलावा मध्यप्रदेश के अनूपपुर शहडोल और सीधी जिले के लोगों का आना जाना यहां हमेशा लगा रहता है.
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इस जगह है माता सीता की रसोई
दीप नारायण पांडे पुजारी का कहना है कि सीतामढ़ी हर चौका में राम लक्ष्मण व सीता का वनवास के दौरान चार माह बिताया है. यहां उनके 17 कक्ष बने हैं, जिसमें शिवलिंग विस्थापित है. और यहां पर सीता मईया की रसोई भी है जहां प्रभु भगवान श्री राम को सीता मैया ने भोजन भी परोसा करती थी. जानकर बताते हैं कि भगवान श्री राम 12 साल चित्रकूट में बिताए. उसके बाद उनका प्रथम आगमन सीतामढ़ी हरचौक में हुआ. जहां उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया, जो अलग-अलग कमरों में स्थापित है. यहां पर देवी माता कालिका के रूप में विराजमान है.