दुनिया के लिए मिसाल है भारत का यह गांव, हर घर में सौर ऊर्जा से पकता है खाना, और भी बहुत कुछ...
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दुनिया के लिए मिसाल है भारत का यह गांव, हर घर में सौर ऊर्जा से पकता है खाना, और भी बहुत कुछ...

बाचा गांव की पहचान देश के पहले ऐसे गांव के रूप में हुई है, जहां हर घर की रसोई में सौर ऊर्जा की सहायता से भोजन तैयार किया जाता है.

मध्य प्रदेश का बाचा गांव प्लास्टिक मुक्त है. हर घर में सौर ऊर्जा से पकता है खाना.

बैतूल: सूर्य की रोशनी से जिंदगी में कैसे उजियारा भरा जाता है, कैसे उसकी ऊर्जा जीवन बसर के लिए मददगार होती है और पानी को कैसे बचाकर कुदरत के साथ तालमेल बैठाया जाता है इसकी झलक मध्य प्रदेश के गांव 'बाचा' में देखी जा सकती है. दरअसल यह छोटा सा गांव अपने नवाचारों के कारण चर्चा में आया है. गांव वालों की मेहनत, सूझबूझ और वैज्ञानिक समझ ने बाचा की तस्वीर में रंग भर दिए हैं. आइए जानते हैं इस गांव के बारें में...

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बोरी बंधन से बचाया पानी
विद्या भारती संस्था से जुड़े समाजसेवी मोहन नागर की प्रेरणा से गांव के लोगों ने परंपरागत ग्राम-विज्ञान के जरिए बारिश के पानी को एकत्रित करना शुरू किया. इसके लिए पहाड़ी की ढलान से आने वाले पानी को रेत की दीवार बनाकर एकत्र किया गया. इससे न केवल खेती के लिए पानी जमा हुआ, बल्कि गांव का भू-जलस्तर भी बढ़ गया. ग्रामीण लोगों ने इस प्रयोग को ''बोरी बंधान'' नाम दिया.

सौर ऊर्जा के प्रयोग से देशभर में पहचान
पानी संरक्षण के अलावा बाचा गांव की पहचान देश के पहले ऐसे गांव के रूप में हुई है, जहां हर घर की रसोई में सौर ऊर्जा की सहायता से भोजन तैयार किया जाता है. ओएनजीसी के अधिकारियों के सहयोग से गांव में इलेक्ट्रिक सोलर इंडक्शन लगाए गए हैं. अब यहां लोगों को न घरेलू गैस की जरूरत पड़ती है और न ही जंगल से लकड़ी काटना पड़ता है. इस सोलर इंडक्शन से महिलओं की जिंदगी पर काफी सकारात्मक असर पड़ा है. अब उन्हें रसोई में धुंए से छुटकारा मिल गया है. 

प्लास्टिक मुक्त है पूरा गांव
इस गांव की एक और बड़ी उपलब्धि है कि ग्रामीणों ने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त कर लिया है. इस गांव में प्लास्टिक का उपयोग न के बराबर किया जाता है. यहां पर एकत्र कचरे का उपयोग खेत के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है. जिसमें अगर प्लास्टिक का कचरा हुआ तो इसे अलग रख दिया जाता है.

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गांव पर बनी फिल्म को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार 
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह और प्रोड्यूसर मनोज पटेल ने इस गांव की कहानी को सबसे सामने लाने के उद्देश्य से डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'बाचा: द राइजिंग विलेज'' बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री को ''नेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑन रूरल डेवलपमेंट'' श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार मिल चुका है. इसके अलावा इस फिल्म को कोलकाता में आयोजित 5वें अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग के लिए भी चुना गया था.

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