नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हम नया विंध्य प्रदेश बनाने को नहीं बोल रहे, हमारा पुराना विंध्य प्रदेश ही वापस किया जाए. उन्होंने शिवराज सरकार को चेतावनी दे डाली कि अपनी मांग को लेकर वह गांव से भोपाल तक जन आंदोलन खड़ा करेंगे और अपना विंध्य प्रदेश लेकर रहेंगे.
Trending Photos
सतना: सतना जिले की मैहर सीट से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने एक बार फिर पार्टी लाइन से इतर जाते हुए बयानबाजी की है. उन्होंने रविवार को उचेहरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अलग विंध्य प्रदेश की अपनी मांग दोहराई. शनिवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने उन्हें राजधानी भोपाल तलब किया था. इसके बाद माना जा रहा था कि मैहर विधायक पार्टी लाइन फॉलो करेंगे लेकिन उन्होंने मन में कुछ अलग ठान रखी है.
भोपाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात के बाद सतना लौटने पर उन्होंने उचेहरा की एक सभा में कहा कि पार्टी छोड़ हर व्यक्ति प्रमोशन चाहता है. हम सपा में थे, कांग्रेस में गए तो प्रमोशन मिला. नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हम नया विंध्य प्रदेश बनाने को नहीं बोल रहे, हमारा पुराना विंध्य प्रदेश ही वापस किया जाए. उन्होंने शिवराज सरकार को चेतावनी दे डाली कि अपनी मांग को लेकर वह गांव से भोपाल तक जन आंदोलन खड़ा करेंगे और अपना विंध्य प्रदेश लेकर रहेंगे.
मध्य प्रदेश में नए पदाधिकारियों को BJP ने दी सख्त हिदायत, इन बातों का रखना होगा विशेष ख्याल
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा, ''अटल जी छोटे राज्यों के पक्षधर थे. हमारे मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा अटल जी के सपनों से दूर कैसे हो सकते हैं.'' आपको बता दें कि नारायण त्रिपाठी ने अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर 15 जनवरी को नीलबड़ में एक बैठक भी की थी, जिसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उनको तलब किया था.
शिवराज सरकार को अस्थिर बता कांग्रेस ने राज्यपाल को चिट्ठी लिख की दखल देने की मांग
कही विंध्य प्रदेश की मांग दबाव की राजनीति तो नहीं?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विंध्य अंचल की 30 विधानसभा सीटों में 25 पर जीत दर्ज की थी. लेकिन 2020 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद शिवराज मंत्रिमंडल में विंध्य अंचल के कई वरिष्ठ विधायकों को जगह नहीं दी गई. ऐसे में नारायण त्रिपाठी की अलग विंध्य प्रदेश की मांग को शिवराज सरकार पर दबाव बनाने की राजनीति का एक हिस्सा भी माना जा रहा है.
कोरोना का टीका लगवाने के बाद भी 42 दिनों तक नहीं छूटेगा मास्क से पीछा! जानिए क्या है वजह
लंबे समय से चल रही है अलग 'विंध्य प्रदेश' की मांग
साल 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद से ही अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग चल रही है. मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी भी अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने के पक्षधर थे. उन्होंने विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर विधानसभा में एक राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा था, जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र को मिलाकर अलग विंध्य प्रदेश बनाया जाए. हालांकि इस प्रस्ताव पर कभी विचार नहीं हुआ. लेकिन विधानसभा में प्रस्ताव आने के बाद से ही इस अंचल के नेता अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग गाहे-बगाहे उठाते रहते हैं. कई बार इसको लेकर छोटे-मोटे आंदोलन भी हुए हैं.
VIDEO: कृषि कानूनों पर तनातनी के बीच नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्रेन में सिखों के साथ किया भोजन
विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर अटल सरकार को भेजा गया था पत्र
साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बिहार से अलग झारखंड, मध्य प्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से अलग उत्तरांखड राज्य के गठन को स्वीकृति दी थी. उस वक्त पूर्व कांग्रेस विधायक-सांसद रहे श्रीनिवास तिवारी के पुत्र स्व. सुंदरलाल तिवारी ने विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर केंद्र की एनडीए सरकार को एक पत्र लिखा था. मध्य प्रदेश की तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने विधानसभा से एक संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था. लेकिन तब केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए मध्य प्रदेश से अलग केवल छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना को हरी झंडी दी थी.
WATCH LIVE TV