क्यों पड़ा छत्तीसगढ़ का नाम, मध्य प्रदेश से कैसे अलग हुआ, क्या है खूबचंद बघेल का योगदान?
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क्यों पड़ा छत्तीसगढ़ का नाम, मध्य प्रदेश से कैसे अलग हुआ, क्या है खूबचंद बघेल का योगदान?

जिस वक्त छत्तीसगढ़ का गठन हुआ उस समय छत्तीसगढ़ में 36 गढ़ हुआ करते थे. गढ़ का मतलब रियासतों की जमीदारी से है. उन 36 गढ़ों की वजह से ही छत्तीसगढ़ का नाम रखा गया. हालांकि 20 साल बीत जाने के बाद राज्य में गढ़ों की संख्या बढ़ी है. बावजूद इसके राज्य के नाम में कोई बदलाव नहीं किया गया. 

 डॉ. खूबचंद बघेल का है बड़ा योगदान

रायपुर: आजादी से पहले मध्य प्रदेश 4 हिस्सों में बंटा हुआ था. 1950 में सबसे पहले मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ और मकराइ रियासतों के साथ मिलाकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था. उस वक्त मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर थी. इसके बाद 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्यों को भी इसमें शामिल कर दिया गया. जबकि राजधानी नागपुर समेत दक्षिण के मराठी भाषी क्षेत्रों को बॉम्बे राज्य में भेज दिया गया. पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी के रूप में चुना जा रहा था, लेकिन आखिर में इस निर्णय को बदल कर भोपाल को नई राजधानी घोषित किया गया.

साल 2000, 1 नवंबर के दिन एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन किया गया. इसमें छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर भारत का 26वां राज्य बनाया गया. प्राचीन भारत के दौर से ही भारत को गौरवान्वित करने के बाद आज भी छत्तीसगढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. भारत का नियाग्रा कहा जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात यहीं स्थित है. विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र रहा छत्तीसगढ़ आज भी अपने प्राचीन मंदिरों के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है.

क्यों पड़ा छत्तीसगढ़ का नाम?
जानकार लोगों की माने तो जिस वक्त छत्तीसगढ़ का गठन हुआ उस समय छत्तीसगढ़ में 36 गढ़ हुआ करते थे. गढ़ का मतलब रियासतों की जमीदारी से है. उन 36 गढ़ों की वजह से ही छत्तीसगढ़ का नाम रखा गया. हालांकि 20 साल बीत जाने के बाद राज्य में गढ़ों की संख्या बढ़ी है. बावजूद इसके राज्य के नाम में कोई बदलाव नहीं किया गया. इस इलाके की भाषा को छत्तीसगढ़ी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ी के अलावा भी राज्य में माढ़िया, हल्बी, गोंडी जैसी भाषा बोली जाती हैं.

कैसे मिली छत्तीसगढ़ को पहचान?
डॉ. खूबचंद बघेल एक ऐसा नाम है, जिससे शायद हर कोई वाकिफ होगा. लेकिन कम ही लोग ये जानते होंगे कि इन्होंने ही सबसे पहले छत्तीसगढ़ राज्य का सपना देखा था. इन्हीं की बदौलत न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी छत्तीसगढ़ का नाम हुआ.

गांधी से प्रभावित हुए
डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ में आंदोलन छेड़ कई बदलाव किए. वह जीवन के अंतिम समय तक कई रचनात्मक और किसान-मजदूर हितैषी गतिविधियों से जुड़कर छत्तीसगढ़ की सेवा करते रहे. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन को गति देने में उनकी निर्णायक भूमिका रही थी. डॉ. बघेल ने गांधी से प्रभावित होकर शासकीय नौकरी से त्यागपत्र दिया और सक्रिय रूप से स्वाधीनता आंदोलनों से जुडे़. उनके प्रभाव ने सैकड़ों युवाओं को स्वाधीनता संग्राम से जोड़ा.

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नाटक से लाया समाज में बदलाव
वे छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन के जनक रहे. उन्होंने समाज में छुआछूत और जातिप्रथा को कम करने के लिए  ऊंच-नीच नाटक को लिखकर मंचन किया. ऐसे ही उन्होंने समाज में बदलाव के लिए अन्य नाटक लिखे. करम-छंडहा, यह नाटक आम आदमी की गाथा और बेबसी को दर्शाता है. जनरैल सिंह जिसमें छत्तीसगढ़ के दब्बूपन को दूर करने का रास्ता बताया गया. 1962 में 'भरतमाता' लिख कर भारत चीन युद्ध के समय इसका मंचन कराया. और चंदा इकठ्ठा कर भारत सरकार के पास भिजवाया था.

रायपुर कैसे बना राजधानी
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद इसकी राजधानी को लेकर काफी विचार-विमर्श हुआ. पहले बिलासपुर को राजधानी बनाए जाने पर विचार किया गया, क्योंकि बिलासपुर वर्तमान राजधानी से उस समय पर ज्यादा विकसित था. लेकिन फिर काफी विचार के बाद रायपुर को छत्तीसगढ़ की राजधानी घोषित किया गया. बता दें छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल 1, 35, 192 किलोमीटर है और इसका सबसे बड़ा शहर रायपुर है.

आजादी के बाद राज्यों का जो नया बंटवारा हुआ उसमें पहले सी.पी. एंड बरार और बाद में मध्य प्रदेश का हिस्सा बने छत्तीसगढ़ ने कई तरह की उपेक्षाओं को महसूस किया. एक तरफ, मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल थे, जो छत्तीसगढ़ अंचल के ही थे, तो दूसरी तरफ, पूरा का पूरा प्रशासनिक ढांचा कुछ इस ढंग से विकसित हुआ था कि छत्तीसगढ़ की सीमा के भीतर कोई प्रशासनिक केंद्र नहीं आया. शिक्षा मंडल, उच्च-न्यायालय, राजधानी जैसे प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्तीसगढ़ के बाहर ही स्थापित हुए.

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छत्तीसगढ़ राजनीतिक इतिहास
राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो यहां मध्य प्रदेश के बंटवारे के बाद पहली सरकार कांग्रेस की बनी और अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में भाजपा के डॉ. रमन सिंह की सरकार बनने के बाद काफी समय तक उनका राज कायम रहा. बता दें डॉ. रमन सिंह को पहली बार 1999 में राजनांदगांव में लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी. जिसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में किस्मत आजमाई और भारी मतों से जीत दर्ज की. वर्तमान समय में अनसुईया उईके राज्यपाल और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है.

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