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भोपाल: मध्यप्रदेश में 3 तारीख को 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने प्रचार में खूब पसीना बहाया. एक तरफ बीजेपी से जहां शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, उमा भारती जैसे बड़े नेताओं ने मिलकर प्रचार किया तो वहीं कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ प्रचार के दौरान अकेले पड़ते दिखे.
चुनाव से पहले कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट जरूर जारी की, लेकिन कुछ ही बड़े नेता प्रचार के लिए पहुंचे. जिनमें छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और सचिन पायलट ने तो प्रचार किया बाकि बड़े नेताओं का ज्यादा समय पार्टी को नहीं मिल पाया.
कौन थे कांग्रेस के स्टार प्रचारक?
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मुकुल वासनिक, कमलनाथ, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, दिग्विजय सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, सचिन पायलट, अशोक चव्हाण, रणदीप सुरजेवाला, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, विवेक तन्खा, राजमणि पटेल, अजय सिंह, आरिफ अकील, सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, प्रदीप जैन, लाखन सिंह यादव, गोविंद सिंह, नामदेव दास त्यागी, आचार्य प्रमोद कृष्णा, साधना भारती, आरिफ मसूद, सिद्धार्थ कुशवाहा और कमलेश्वर पटेल कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में थे.
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राहुल और प्रियंका चुनाव से रहे दूर
राहुल, प्रियंका गांधी दोनों के नाम कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में टॉप पर रखे. हालांकि, दोनों ही इस चुनाव से पूरी तरह दूर ही रहे. प्रियंका को लेकर तो प्रदेश स्तर पर पूरा कार्यक्रम तय हो गया था. नवरात्रि में प्रियंका गांधी और सचिन पायलट का मुरैना से पीतांबरा पीठ दतिया तक रोड शो प्रस्तावित था. इसके जरिए ग्वालियर अंचल की 6 से ज्यादा सीटों को कवर करने का प्लान प्रदेश कांग्रेस ने तय किया था, लेकिन यह पूरा कार्यक्रम प्रस्तावित ही रह गया और प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचीं.
राहुल ने बताया था आइटम वाले बयान को गलत
कमलनाथ को राहुल और प्रियंका का साथ नहीं मिला उल्टा "आइटम" वाले बयान पर भी राहुल गांधी ने उनको गलत ठहरा दिया. इसके कारण बीजेपी को कमलनाथ पर हमलावर होने का मौका मिला गया. एक तरफ राहुल ने कमलनाथ के "आइटम" वाले बयान को गलत बता दिया तो दूसरी तरफ कमलनाथ की इस पर प्रतिक्रिया ने भी मामला शांत करने की जगह उल्टा विवाद पैदा कर दिया. कमलनाथ ने कहा था कि 'वो "आइटम" वाले शब्द के लिए माफी नहीं मांगेंगे. राहुल गांधी को जिस तरह समझाया गया होगा उस तरह से उन्होंने बयान दिया'.
तो क्या इस वजह से मतदान के पहले ही थम जाता है चुनाव प्रचार?
सिंधिया ने छोड़ी थी पार्टी
कमलनाथ सोनिया गांधी के तो करीबी माने जाते हैं लेकिन इस चुनाव में ऐसा लगा की राहुल और प्रियंका से शायद उनका ताल-मेल कुछ ठीक नहीं है. जानकार इसकी वजह सिंधिया को भी मानते हैं जो राहुल और प्रियंका के खास दोस्त थे और उन्होंने कमलनाथ पर ही उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी झोड़ दी थी.
पायलट ने सिंधिया से निभाई दोस्ती?
चुनाव में अटकले थी कि प्रियंका गांधी, सचिन पायलट के साथ मिलकर सिंधिया के गढ़ में हुंकार भरेंगी. इन दोनों का यहां आना इसलिए भी अहम था कि यह दोनों ही सिंधिया के खास दोस्तों में शामिल हैं. प्रियंका तो नहीं आई पायलट जरूर आए प्रचार करने के लिए लेकिन वो भी सिंधिया के खिलाफ कुछ नहीं बोले और केवल शिवराज और बीजेपी के खिलाफ बोलकर निकल लिए. ग्वालियर-चंबल संभाग में गुर्जर मतदाता बड़ी संख्या में हैं, इसलिए उन्हें रिझाने की जिम्मेदारी पायलट को पार्टी ने दी थी. ग्वालियर, जौरा, भांडेर, सुवारसा सहित जहां-जहां पायलट की सभाएं हुई, वहां पायलट ने ना तो सिंधिया की घेराबंदी की और ना ही उनका नाम लिया जबकी यह पूरा चुनाव ही सिंधिया की वजह से हो रहा है. पायलट ने शिवराज को निशाना बनाते हुए कहा यह चुनाव धर्म और अधर्म के बीच है. 2018 में जनता ने उन्हें हरा दिया था, लेकिन उन्होंने तिकड़म से सत्ता हथियाई है. इसके अलावा पायलट जब ग्वालियर पहुंचे तो उनकी ज्योतिरादित्य से विमानतल पर हुई मुलाकात पर सवाल उठे.
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10 को तस्वीर हो जाएगी साफ
कुल मिलाकर प्रचार का शोर थम चुका है. अब देखना यह होगा की जनता 3 तारीख को किसके पक्ष में फैसला करती है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों की राह आसान नहीं है. बीजेपी को सरकार बनाए रखने के लिए 8 सीटों की दरकार है तो वहीं कांग्रेस को पूरी की पूरी 28 सीटें चाहिए. वहीं इस उपचुनाव बसपा भी दोनों पार्टी का खेल बिगाड़ सकती है.
(इनपुट- लोकेंद्र त्यागी)
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