महाराष्ट्र में बिना इजाजत CBI को नो एंट्री, उद्धव ठाकरे सरकार ने लिया बड़ा फैसला
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महाराष्ट्र में बिना इजाजत CBI को नो एंट्री, उद्धव ठाकरे सरकार ने लिया बड़ा फैसला

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी ममता बनर्जी की राह पर चल निकले हैं. उन्होंने राज्य में सीबीआई जांच को दी आम सहमति को वापस ले लिया है. इस फैसले के बाद CBI को हर मामले की जांच से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी.

फाइल फोटो

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) की उद्धव सरकार ने जांच के लिए सीबीआई (CBI) को दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है. अब महाराष्ट्र में हर केस की जांच से पहले केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य से इजाजत लेनी होगी. उद्धव ठाकरे सरकार के इस कदम से केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है.  

  1. महाराष्ट्र में जांच से पहले अब सीबीआई को लेनी होगी राज्य सरकार से इजाजत
  2. अब तक इस मुद्दे पर आम सहमति बनी हुई थी 
  3. केंद्र और राज्य में टकराव बढ़ने की आशंका 

बुधवार को जारी किया आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश बुधवार को जारी किया. इसके बाद सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 1989 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी. लिहाजा अब उसे किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.

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सबसे पहला असर यहां?
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर सबसे पहले सीबीआई द्वारा टीआरपी घोटाले में दर्ज FIR पर हो सकता है. टीआरपी घोटाले को लेकर लखनऊ में दर्ज मामले की जांच अब सीबीआई करेगी, लेकिन सीबीआई को अगर महाराष्ट्र में कोई भी रेड या कार्रवाई करनी है, तो अब उसे राज्य सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा. जानकारी के मुताबिक, मामला पहले लखनऊ (Lucknow) में एक विज्ञापन कंपनी के प्रमोटर की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे यूपी सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया. मालूम हो कि TRP कांड का मुंबई पुलिस ने खुलासा किया था और इसकी जांच के लिए कई लोगों को समन भेज चुकी है.

सुशांत केस की जांच पर असर नहीं
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मामले की जांच भी सीबीआई कर रही है, लेकिन जांच पर राज्य सरकार के इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वैसे, मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने को लेकर भी महाराष्ट्र सरकार ने आपत्ति जताई थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और शीर्ष अदालत ने जांच सीबीआई को सौंप दी. इससे पहले, मुंबई पुलिस जांच कर रही थी.  

ये राज्य भी ले चुके हैं फैसला
वैसे ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी राज्य ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापिस ली है. महाराष्ट्र सरकार से पहले आंध्र प्रदेश, कोलकाता, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी यह फैसला ले चुके हैं. चंद्रबाबू नायडू सरकार ने 8 नवंबर, 2018 को सीबीआई के राज्य में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था. आंध्र प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ली थी. इसी तरह, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 10 जनवरी, 2019 को सीबीआई को राज्य में जांच के दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली. वहीं, राजनीतिक उठापटक के दौर में राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी सीबीआई के लिए जांच से पहले अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया. 

 

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