मुंबई : इस साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को पुणे के भीमा-कोरेगांव गांव में एक रैली के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में एक युवक की मौत हुई थी. इस घटना के बाद पूरे महाराष्ट्र में कई जगहों पर धरने-प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी हुई थी. इस मुद्दे पर खूब राजनीति भी हुई थी. प्रदेशभर में हुई झड़पों में बड़ी संख्या में उपद्रवियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. इस घटना के तीन महीने बाद आज मंगलवार (13 मार्च) को महाराष्ट्र सरकार ने लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामले वापस लेने की घोषणा की है. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने इन घटनाओं में प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा देने की भी घोषणा की है.


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सभी केस वापस लिए गए
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य बंद के दौरान हुए उपद्रव में किसी को सीधेतौर पर दोषी नहीं पाया गया है. इस दौरान जिन लोगों का नुकसान हुआ है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि एक सेवानिवृत्त जज जेएन पटेल के निर्देशन में एक जांच कमेटी गठित की गई है. गंभीर मामलों में इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. 


एक जनवरी को हुई थी हिंसा
बता दें कि इस साल एक जनवरी को पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई. 200 साल पहले भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. 


भीमा-कोरेगांव संघर्ष : 200 साल पहले जब 600 दलितों ने पेशवा के 28 हजार सैनिकों से लिया लोहा


1 जनवरी को भी पुणे के पास कोरेगांव नाम की इस जगह पर जीत का जश्न मनाने के लिए करीब 3 लाख दलित लोग मौजूद थे. लेकिन सवर्ण जातियों के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे थे. और आरोपों के मुताबिक दोनों पक्षों की तरफ से पथराव हुआ. और इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए.



हिंसा के बाद कई राज्यों में धरने-प्रदर्शन
भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद पूरे महाराष्ट्र में धरने-प्रदर्शन किए गए. महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और गुजरात में भी कई जगहों पर आंदोलन किए गए. कई स्थानों पर तोड़फोड़ की गई. अनेक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया.