औरंगाबाद: 16 बालगृहों को नहीं मिला सरकारी अनुदान, 700 बच्चों के भविष्य पर सवाल
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औरंगाबाद: 16 बालगृहों को नहीं मिला सरकारी अनुदान, 700 बच्चों के भविष्य पर सवाल

औरंगाबाद के 16 बालगृहों को सरकारी अनुदान नहीं मिला है. फंड न मिलने से इन बालगृहों में रहने वाले 700 बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. 

औरंगाबाद: 16 बालगृहों को नहीं मिला सरकारी अनुदान,  700 बच्चों के भविष्य पर सवाल

औरंगाबाद: औरंगाबाद के 16 बालगृहों को सरकारी अनुदान नहीं मिला है. फंड न मिलने से इन बालगृहों में रहने वाले 700 बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. महाराष्ट्र सरकार का महिला और बाल विकास विभाग इन्हें फंड देता है. यह फंड बंद होने से बालगृह चलाने वाली संस्था पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इन बालगृहों का भविष्य खतरे में है. पिछले डेढ़ साथ से इन बालगृहों के लिए महाराष्ट्र के महिला बाल विकास विभाग ने फंड ही नहीं दिया है.

महाराष्ट्र में 200 बालगृह हैं. इनमें सें 16 बालगृह अकेले औरंगाबाद में हैं बालगृह चलाने के लिए राज्य सरकार अनुदान देती है लेकिन पिछले डेढ़ साल में राज्य के सभी बाल गृह को सरकार से फंड नहीं मिला है. ऐसे में औरंगाबाद के बाल गृह बंद होने के कगार पर हैं. औरंगाबाद 16 बाल गृहों में 700 से अधिक बच्चो को रखा गया है जिनकी शिक्षा और देखभाल यहां की जाती है. ज्यादातर अनाथ, लापता बच्चों की परवरिश इन बालगृहों में की जाती है. एक बच्चे के लिए प्रतिदिन 65 रुपए सरकारी अनुदान इन बाल गृहों को दिया जता है लेकिन यदि फंड मिलना बंद हुआ है. अकेले औरंगाबाद के 16 बालगृहों के लिए पिछले डेढ़ साल से कुल 2 करोड़ का सरकारी फंड का आवंटन नहीं हुआ है. बीपीएल योजना के तहत इन बालगृहों को सस्ता अनाज मिलता था. राज्य सरकार ने अब वह भी बंद कर दिया है. 

औरंगाबाद के भगवान बाबा बालगृह की निदेशक कविता वाघ बताती हैं, "सरकारी फंड के बिना बालगृह चलाना कठिन है. प्रतिदिन का खर्च संस्था के तौर पर हम कर रहे हैं. सस्ता अनाज पहले बालगृहों को दिया जाता था. अब वह भी बंद किया है. जरूरत है, जल्द सरकारी फंड मुहैया होना चाहिए."  

महाराष्ट्र में वर्ष 2015 सें पहले 950 बालगृह थे जिसमें 70 हजार बच्चे थे लेकिन पिछले तीन साल से फंड न मिलन से 700 से अधिक बालगृह बंद पडे हैं. यह बच्चे कहां गए? यह सवाल ही है. अब राज्य में सिर्फ 200 बालगृह हैं. फंड न मिलने से उनको भी अपने भविष्य की चिंता है. अनाथ बच्चे कहते हैं कि सरकार उनके बारे में सोचे.

औरंगाबाद की महिला बालविकास अधिकारी हर्षा देशमुख बताती हैं, "पिछले डेढ़ साल से 20 फीसदी से लेकर 80 फीसदी फंड बालगृहों को नहीं मिला है. इस बारे में जानकारी हमने महाराष्ट्र सरकार के दी है. पत्र भी लिखा है. फंड जल्द से जल्द लाने का प्रयास हम कर रहे हैं." 

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