Maharashtra News: महाविकास अघाड़ी की लगभग 80 प्रतिशत सीटों के बंटवारे पर चर्चा पूरी हो चुकी है. विधानसभा चुनावों को लेकर टॉप नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा जारी है. बस विदर्भ की सीटों का पेंच फंसा है.
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Mahavikas Aghadi MVA: तो आखिरकार तमाम ना नुकुर के बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों लेकर महाविकास आघाड़ी की बैठक में सीटों के बंटवारे पर पर आम सहमति बनती दिख रही है. टॉप नेताओं की बैठक के बाद यह जानकारी आई है कि घटक दलों के बीच महाराष्ट्र की लगभग 80 प्रतिशत सीटों पर सहमति बन गई है, जिसमें विदर्भ क्षेत्र को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों की सीटों का बंटवारा तय हो चुका है.
जानकारी के अनुसार महाविकास आघाड़ी के दलों ने 150 से अधिक सीटों पर आपसी सहमति बना ली है. अगले चरण में उन सीटों पर चर्चा की जाएगी, जो अभी खाली हैं या जिन पर सहमति नहीं बनी है. सूत्रों का कहना है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में जीती गई सीटों में से अधिकांश सीटें उसी पार्टी को दी गई हैं, जिसने उन्हें पिछली बार जीता था.
हालांकि, 10 से 20 प्रतिशत सीटों में फेरबदल किया जाएगा, ताकि संतुलन और रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखा जा सके. अब विदर्भ की सीटों पर चर्चा बाकी है, जिसके बाद महाविकास आघाड़ी के नेताओं द्वारा अंतिम फैसला लिया जाएगा.
बैठक से पहले ही शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को सीट शेयरिंग पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है. मैं लोगों से कहना चाहूंगा कि सीट शेयरिंग को चल रही किसी भी बयानबाजी पर ध्यान न दिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर किसी सीट को लेकर मतभेद सामने आता है, तो हम साथ मिलकर बैठक करेंगे और इसके बाद फैसला लिया जाएगा, फिलहाल इस संबंध में जो भी खबरें चल रही हैं, उस पर ध्यान न देना ही मुनासिब रहेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को लगता है कि हमारे बीच कोई मतभेद है, तो मैं एक बात फिर से स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. हम सभी सीटों को मौजूदा विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देखने और समझने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि किसी अर्थपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंच सकें. उन्होंने कहा कि हम हर सीट पर विस्तारपूर्वक चर्चा कर रहे हैं और यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि किस सीट पर जीतने की संभावना ज्यादा है. कहां किसे उतारे जाने से सियासी फिजा को अपने पक्ष में किया जा सकता है, क्योंकि कई चीजें राजनीतिक दृष्टिकोण से पेचीदा हो चुकी हैं.