Badaun Masjid: तो क्या बदायूं की जामा मस्जिद भी मंदिर है? नीलकंठ महादेव और अन्य मूर्तियों को कुएं में छिपाने का दावा
Advertisement
trendingNow11370737

Badaun Masjid: तो क्या बदायूं की जामा मस्जिद भी मंदिर है? नीलकंठ महादेव और अन्य मूर्तियों को कुएं में छिपाने का दावा

Zee Digital Exclusive: बदायूं की जामा मस्जिद के निर्माण के लिए मंदिर का विध्वंस करने के बाद नीलकंठ महादेव और अन्य भगवानों की मूर्तियां कुएं में छुपा दी गईं. ऐसा दावा अंग्रेजों की 115 साल पुरानी सरकारी रिपोर्ट में किया गया है. इसकी सुनवाई 4 अक्टूबर को होनी है.

Badaun Masjid: तो क्या बदायूं की जामा मस्जिद भी मंदिर है? नीलकंठ महादेव और अन्य मूर्तियों को कुएं में छिपाने का दावा

Badaun Masijd Controversy: उत्तर प्रदेश में इस समय काशी की ज्ञानवापी, मथुरा की शाही ईदगाह के साथ साथ बदायूं की जामा मस्जिद का मामला स्थानीय कोर्ट में चल रहा है. इसी महीने बदायूं की जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मस्जिद में पूजा पाठ और ASI द्वारा सर्वे करवाए जाने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करते हुए, मस्जिद की इंतजामिया कमेटी, ASI और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. जिसके बाद 15 सितंबर को स्थानीय अदालत ने 4 अक्टूबर की तारीख दी. जिसमें अदालत सभी पक्षों के जवाब आने के बाद तय करेगी कि मामले को अगले सुनना है या नहीं. 

हिंदू पक्ष ने किया ऐसा दावा

हिंदू पक्ष का दावा है कि बदायूं की जामा मस्जिद को देश की सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद है. उसका निर्माण भगवान शिव के प्राचीन मंदिर, 'नीलकंठ महादेव' को तोड़ कर किया गया था और ध्वस्त मंदिर की मूर्तियां आज भी मस्जिद परिसर के किसी गुप्त कमरे में हैं. हिंदू पक्ष के मंदिर विध्वंस कर मस्जिद बनाए जाने के दावे के साथ अंग्रेजों का 115 साल पुराना बदायूं जिले गजेटियर भी सुर में सुर मिला रहा है. अंग्रेज अफसर एच आर नेविल (HR NEVILL) द्वारा साल 1907 में तैयार किए गए बदायूं के गजेटियर के पेज 189 में लिखा हुआ है कि बदायूं के मौलवी टोला मोहल्ले में जहां विवादित जामा मस्जिद शम्सी है, वहां भगवान शिव का नीलकंठ महादेव मंदिर हुआ करता था. जिसे मठ के प्रमुख ईशान शिव ने राजा लखनपाल के समय पर बनवाया था. लेकिन इस्लामिक आक्रांता इल्तुतमिश ने इस हिंदू मंदिर को तोड़ कर मंदिर के अवशेषों से जामा मस्जिद शम्सी को बनवा दिया. इसी पेज पर अंग्रेज अधिकारी ने जिक्र किया था कि मस्जिद में मौजूद कई खम्बे उस हिंदू मंदिर के हैं जिसे तोड़ कर मस्जिद का निर्माण किया गया था.

fallback
115 साल पुराने गजेटियर में अंग्रेज अधिकारी ने पेज 190 पर लिखा कि आम परंपरा के मुताबिक मंदिर को ध्वसत करने के बाद मंदिर में मौजूद नीलकंठ महादेव की मूर्ति और अन्य भगवानों की मूर्तियों को किसी कुएं में छुपा दिया गया था जो आज तक नही मिली है. 

fallback

जल्दी में मंदिर बनवाना चाहते थे मुस्लिम आक्रांता

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. ओम जी उपाध्याय के मुताबिक मंदिरो को तोड़ कर उसके मलबे से मस्जिद बनाने का तरीका इस्लामी शासनकाल की शुरुआती दिनों में जमकर किया गया था क्योंकि इस्लामी आक्रांता चाहते थे कि जितनी जल्दी हो सके मस्जिद का निर्माण हो सके, ऐसे में शुरुआती शासनकाल में बनी ज्यादातर मस्जिद मंदिर को तोड़ कर उसकी के मलबों और पत्थरों से बनी थी. दिल्ली की कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद और सुल्तान गढ़ी का मकबरा, राजस्थान का अढ़ाई दिन का झोपड़ा इसके स्पष्ट उदाहरण है जिनकी दीवारें ही इसके कभी हिंदू मंदिर मंदिर होने की गवाही दे रही हैं. इस्लामी शासनकाल के शुरुआती 100 वर्षो का अगर इतिहास उठा कर देखेंगे तो इसके काफी उदाहरण देखने को मिल जाएंगे.

एक समय पर सबसे बड़ी मस्जिद बदायूं में थी

बदायूं की जामा मस्जिद शम्सी के इतिहास की बात करें तो साल 1209-1210 के बीच में जामा मस्जिद शम्सी का निर्माण इस्लामिक शासक इल्तुतमिश ने बदायूं के गवर्नर रहने के दौरान शुरू करवाया. कुतुबुद्दीन की मौत के बाद इल्तुतमिश दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया और अपने बेटे रुकनुद्दीन फिरोज को बदायूं का गवर्नर बना देता है. जिसके बाद वर्ष 1230 में मस्जिद का निर्माण इल्तुतमिश के बेटे की देखरेख में पूरा होता है. बाद में तुगलक आक्रांताओं से लेकर मुगल आक्रांता औरंगजेब तक के शासनकाल में इस मस्जिद की मरम्मत से लेकर अन्य कार्य करवाए जाते हैं. दिल्ली में जामा मस्जिद के निर्माण से पहले बदायूं की जामा मस्जिद शम्सी देश की सबसे बड़ी मस्जिद थी.

ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

Trending news