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श्रीनगर: हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े ने सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद जेल में बंद अलगाववादी नेता मसरत आलम भट को अपना नया अध्यक्ष चुन लिया है. कश्मीर में साल 2010 में विरोध-प्रदर्शन के दौरान 'पोस्टर बॉय' के तौप पर पहचाने जाने वाला मसरत आतंकी संगठनों को फंडिंग करने के आरोप में जेल में बंद है.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े ने मंगलवार को मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को संगठन के नेतृत्व से बड़ी उम्मीदें हैं. बयान के मुताबिक, शब्बीर अहमद शाह और गुलाम अहमद गुलजार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के उपाध्यक्ष चुने गए हैं. संगठन ने कहा कि ये नियुक्तियां हुर्रियत के संविधान के मुताबिक चुनाव होने तक अस्थायी हैं.
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एनआईए ने अक्टूबर 2019 में मसरत के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल की थी और वह वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है. एनआईए ने अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने, घाटी में अशांति फैलाने और भारत के खिलाफ जंग छेड़ने की साजिश रचने के लिए कथित रूप से मनी लॉड्रिंग के लिए जमात-उद-दावा, दुख्तरान-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा जम्मू-कश्मीर के अन्य अलगाववादी संगठनों और नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
गिलानी को हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का आजीवन अध्यक्ष चुना गया था, लेकिन उन्होंने पिछले साल पद छोड़ दिया था और वह इससे अलग हो गए थे. वह साफ तौर पर पाकिस्तान समर्थक थे और उन्होंने तीन दशक तक जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व किया था.
मसरत आलम साल 2010 में घाटी में विरोध का नेतृत्व करने वाले अलगाववादी के तौर पर उभरा था. चार महीने की तलाशी के बाद उसे श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके से गिरफ्तार किया गया था. उसके बारे में जानकारी देने के लिए 10 लाख रुपये के इनाम का भी ऐलान हुआ था. 50 साल का मसरत आलम साइंस ग्रेजुएट है और उसे गिलानी का उत्तराधिकारी माना जा रहा है.