सेना की ईस्टर्न कमांड ने खो दिया अपना 'Hero', केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर जताया दुख
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सेना की ईस्टर्न कमांड ने खो दिया अपना 'Hero', केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर जताया दुख

9 साल के इस काबिल डॉग की बुधवार को मौत हो गई.

9 साल के डॉग ने बुधवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने आर्मी कैडर ईस्टर्न कमांड के डॉग डच (Dutch) के निधन पर दुख जताया है. 9 साल के डॉग ने बुधवार (11 सितंबर) के दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास का केंद्र सरकार में जिम्मा संभाल रहे मंत्री सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए लिखा, ''11 सितंबर को मौत के मुंह में समा जाने वाले 9 साल के डच डॉग के प्रति आर्मी ईस्टर्न कैडर शोक संवदेना व्यक्त करती है. वह पूर्वी कमांड की ओर से पदक से सम्मानित डॉग था, जिसने कई सीआई/सीटी ऑपरेशनों में आईईडी की पहचान करने में खास भूमिका निभाई थी. राष्ट्र की सेवा करने वाले एक असली नायक को सैल्यूट.''

सम्मानपूर्वक विदाई
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आर्मी के डॉग्स (कुत्ते) सैनिकों की तरह ही देश की सेवा में अहम योगदान देते हैं. मृत्यु उपरांत इन डॉग्स को किसी सैनिक की तरह ही सम्मानपूर्वक विदाई दी जाती है.

दिया जाता है एनिमल यूथेनेशिया
खास बात यह है कि इन डॉग्स को तब तक जिंदा रखा जाता है, जब तक ये काम करते रहते हैं. जब कोई डॉग एक महीने से अधिक समय तक बीमार रहता है या किसी कारणवश ड्यूटी नहीं कर पाता है तो उसे जहर देकर (एनिमल यूथेनेशिया) मार दिया जाता है.

गोपनीय जानकारियां भी रखते हैं
रिटायरमेंट के बाद डॉग्स को मारने की एक वजह यह है उन्हें आर्मी के बेस की पूरी जानकारी होती है. इसके साथ ही वे अन्य गोपनीय जानकारियां भी रखते हैं. ऐसे में यदि बाहरी लोगों को सौंपा जाता है तो सेना की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है. वहीं, इसके अलावा यदि इन कुत्तों को एनिमल वेलफेयर सोसाइटी जैसी जगहों पर भेजा जाता है तो उनका लालन-पालन ठीक ढंग से नहीं हो पाता, क्योंकि सेना उन्हें खास सुविधाएं मुहैया कराती है.

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