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नई दिल्ली: ड्रग मामले (Drugs Case) में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के नाम की खबर ने देशभर में खलबली मचा दी. दरअसल इस खबर का केंद्र महज किंग खान का नाम ही नहीं बल्कि पकड़े गए आर्यन खान की उम्र भी है. महज 23 साल की उम्र में आर्यन खान का ऐसी ड्रग पार्टी में शामिल होना चिंता पैदा करने वाला है.
भारत 65 फीसदी युवा आबादी वाला देश है यानी इतने फीसदी जनसंख्या 35 वर्ष से कम की है. लेकिन देश की इस मजबूत दीवार में नशे की सेंध लगना खतरे की घंटी से कम नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि चाइल्ड लाइन इंडिया फॉउंडेशन की साल 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 65 फीसदी उन युवाओं को नशाखोरी की लत है, जिनकी उम्र महज 18 साल से भी कम है.
वहीं कुछ ऐसे भी सरकारी आंकड़े सामने आए हैं जिनके मुताबिक देश के तकरीबन 50 लाख युवाओं को हेरोइन जैसे नशे की लत है. इतना ही नहीं, हेरोइन की तरह युवाओं में नशे के लिए दवाइयों का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है. आसानी से उपलब्ध होने वाले भांग के भी लती युवाओं की संख्या भारत में बढ़ रही है.
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आंकड़ा हैरान जरूर करता है लेकिन देश के लगभग 90 से 95 लाख लोग रोजाना भांग का सेवन करना पसंद करते हैं. आपको बता दें कि साल 1992 से 2012 तक यानी महज 20 सालों में ही हमारे देश भारत में शराब के सेवन में 55 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई. साल 1992 में जहां 300 लोगों में से एक शख्स शराब का आदी था, वहीं साल 2012 में 20 लोगों में एक शख्स शराब का सेवन कर रहा है. जाहिर तौर पर अब 30 साल के वक्त में अब ये आंकड़ा कई गुना बढ़ चुका होगा.
साल 2018 में पूर्वी दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की एक सर्वे रिपोर्ट आई थी जो हर अभियान को चिंता में डालने वाली है. दरअसल कॉरपोरेशन ने ईस्ट दिल्ली के 368 स्कूलों में ये सर्वे किया था. 75 हजार 37 बच्चों पर हुए इस सर्वे में 16.8 फीसदी बच्चे किसी न किसी तरह से नशे के आदी पाए गए. चिंता की बात तो ये है कि इन सबकी उम्र 8 से 11 साल के बीच रही.
सर्वे में शामिल किए गए स्कूली बच्चों में 8 हजार 182 बच्चे सूखे अफीम के गोले के साथ सुपारी का सेवन करते हुए पाए गए तो वहीं 2 हजार 613 बच्चे तंबाकू, 1 हजार 410 ने बीड़ी और सिगरेट का सेवन, 231 शराब और 191 बच्चे लिक्विड ड्रग और इंजेक्शन जैसे चीजों का इस्तेमाल करते पाए गए. इतना ही नहीं साल 2018 में एम्स की भी एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दिल्ली की सड़कों पर घूमने वाले एक तिहाई गरीब बच्चे नशे के आदी बताए गए.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, तंबाकू के सेवन के चलते हर साल दुनियाभर में 54 लाख लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. आपको जानकर डर भी लगेगा कि इन मरने वालों में से तकरीबन 9 लाख मौतें केवल भारत में दर्ज की जाती हैं. आंकड़ों के मुताबिक, भारत में रोजाना 2 हजार 500 लोग तंबाकू सेवन के चलते मौत का शिकार होते हैं. वहीं हर साल शराब भी लाखों लोगों की मौत की जिम्मेदार बनती है.
जाहिर है बच्चों में नशे की लत सिर्फ भारत में ही नहीं है. दुनियाभर में बड़ी संख्या में युवा इसकी गिरफ्त में हैं. शायद इसलिए दुनिया के कई देशों के स्कूलों में बच्चों के लिए ड्रग एजुकेशन अनिवार्य की गई है. आपको बता दें कि अमेरिका के स्कूलों में बच्चों को ड्रग एब्यूज रेजिस्टेंस की शिक्षा दी जाती है. जिसमें छोटी कक्षा से ही बच्चों को ड्रग की लत के नुकसान और उसके बुरे असर के बारे में पढ़ाया जाता है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया में युवाओं में बढ़ते नशे की लत को भांपते हुए वहां की सरकार ने नेशनल ड्रग एजुकेशन स्ट्रैटेजी तैयार की है. जिसके तहत स्कूलों में बच्चों के लिए अलग-अलग ड्रग एजुकेशन प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं. शायद अब युवाओं में बढ़ते ड्रग आकर्षण को देखते हुए भारत में भी ड्रग एजुकेशन की जरूरत महसूस होने लगी है.
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