Mir Sadiq: राजनीति में अलंकारों और पदवियों का बड़ा महत्त्व है. कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों एक ही चर्चा उबाल पर है जब जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर हमला बोलते हुए उन्हें मीर सादिक का अवतार बता दिया है. आइए समझते हैं कि भारतीय इतिहास में मीर सादिक की भूमिका क्या रही.
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Karnataka Politics: कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप का सबसे अजीब दौर जारी है. सीएम सिद्धारमैया और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी एक दूसरे पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं. कुमारस्वामी सिद्धारमैया को कभी खलनायक तो कभी मीर सादिक बता रहे हैं. वहीं सिद्धारमैया ने पलटवार करते हुए कहा कि कुमारस्वामी वो है जो नृत्य नहीं कर सकते और मंच को दोष देते हैं. लेकिन कुमारस्वामी का मीर सादिक वाला बयान जमकर चर्चा में है. आइए जानते हैं कि भारतीय इतिहास में मीर सादिक की भूमिका क्या रही कि लोग उसे खलनायक मानते हैं.
कौन था मीर सादिक
असल में टीपू सुल्तान के शासन में मीर सादिक एक विश्वासघाती मंत्री था. 1798 से 1799 के बीच चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध के दौरान उसने अंग्रेजों को टीपू सुल्तान को मारने में मदद की थी. अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान के महल को घेर लिया था. उस समय मीर सादिक ने टीपू के सैनिकों को महल के दूसरी तरफ बुला लिया और उसी समय अंग्रेजों ने महल पर हमला किया और टीपू को मार डाला.
गद्दार निकला मीर सादिक
टीपू सुल्तान को घेरने के लिए अंग्रेजों और उनके सहयोगियों ने श्रीरंगपट्टनम के महल के पास एक खाई में पांच हजार सैनिकों को छिपाया था. हुआ यह था कि जब दुश्मन सैनिकों ने हमला किया तो मीर सादिक ने टीपू सुल्तान के सैनिकों को तनख्वाह देने के बहाने महल के दूसरी तरफ बुला लिया था. इस बीच अंग्रेजों ने हमला कर टीपू सुल्तान को मार डाला था.
मीर जाफर भी था खलनायक!
मीर जाफर भी वैसे ही था. बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला एक कुशल और स्वतंत्र शासक थे. उनके सेनापति मीर जाफर ने अंग्रेजों से मिलकर उनका विश्वासघात किया और 2 जुलाई 1757 को प्लासी की लड़ाई में उन्हें पराजित कर दिया. सिराजुद्दौला की मृत्यु के साथ ही बंगाल पर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया. हुआ यह था कि मीर जाफर के इस धोखे के कारण नवाब सिराजुद्दौला की सेना हार गई और उन्हें मार दिया गया था.