Compulsion of Hindi: केंद्र सरकार लंबे समय से इस विचार में है कि हिन्दी को केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा के लिए माध्यम बनाया जाए. हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में संसदीय राजभाषा समिति ने एक सिफारिश में सुझाव दिए थे कि केंद्रीय विद्यालयों, IIT, IIM और सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हिन्दी में पढ़ाई की जानी चाहिए. सरकारी भर्ती परीक्षाएं हिंदी माध्यम में ली जाएं. जिसके बाद अब केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि हिन्दी का थोपना स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने इस लेकर आपत्ति जताते हुए एक पत्र पीएम मोदी को भी लिखा है.


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विजयन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र


केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि हिंदी भाषा को थोपने के प्रयास अस्वीकार्य हैं. मुख्यमंत्री विजयन ने केंद्रीय सेवाओं के लिए आयोजित परीक्षाओं का माध्यम हिंदी में बनाने और हिंदी को शैक्षिक अध्ययन की अनिवार्य भाषा बनाने के लिए संसद की राजभाषा समिति की सिफारिशों पर रिपोर्ट के मद्देनजर केरल के रुख से अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा.


किसी एक को बढ़ावा देना ठीक नहीं


विजयन ने कहा कि भारत का सार 'अनेकता में एकता' की अवधारणा से परिभाषित होता है. जो सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को स्वीकार करता है. इसे स्वीकार करते हुए, यह विभिन्न लोगों के बीच भाईचारा, सहिष्णुता और आपसी सम्मान है, जो हमारे देश को बनाए रखता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी एक को बढ़ावा देना दूसरों से ऊपर की भाषा इस अखंडता को नष्ट कर देगी.



..तो रोजगार से वंचित रह जाएंगे युवा


शिक्षा के मामले में केरल के सीएम ने कहा कि केंद्र को राज्यों की विशेषताओं को स्वीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि रोजगार परीक्षा हिंदी में कराने से देश में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ेगा. इसके अलावा, हिंदी को थोपना सहकारी संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है. मुख्यमंत्री ने मांग की कि केंद्र सरकार को हिंदी भाषा थोपने के प्रयासों से पीछे हटना चाहिए.



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(एजेंसी इनपुट के साथ)