दुनिया की 95% आबादी जहरीली हवा के गिरफ्त में, भारत-चीन में सबसे अधिक मौतें
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दुनिया की 95% आबादी जहरीली हवा के गिरफ्त में, भारत-चीन में सबसे अधिक मौतें

अनुसंधान में पाया गया कि प्रदूषण से गरीब समुदाय बहुत अधिक प्रभावित होता है. इसके साथ ही सर्वाधिक प्रदूषण और सबसे कम प्रदूषण वाले देशों के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है. 

ग्रामीण इलाकों में लोग ठोस ईंधन जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण का सामना करते हैं.(फाइल फोटो)

बोस्टन: दुनिया की करीब 95 फीसदी आबादी खराब हवा में सांस लेती है और प्रदूषण के कारण मौत के मुंह में जाने वाले विश्वभर के कुल लोगों में से करीब आधे भारत और चीन से होते हैं. अनुसंधान में पाया गया कि प्रदूषण से गरीब समुदाय बहुत अधिक प्रभावित होता है. इसके साथ ही सर्वाधिक प्रदूषण और सबसे कम प्रदूषण वाले देशों के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है. शहरों में रहने वाले अरबों लोग असुरक्षित हवा में जी रहे हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ठोस ईंधन जलाए जाने के कारण घर के भीतर वायु प्रदूषण का सामना करते हैं.

  1. पूरी दुनिया में तीन में से एक व्यक्ति असुरक्षित हवा में सांस ले रहा है. 
  2. वायु प्रदूषण सेहत के लिए पर्यावरण संबंधी सबसे बड़ा जोखिम है 
  3. वायु प्रदूषण विश्वभर में होने वाले मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है.  

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में तीन में से एक व्यक्ति घर के भीतर और बाहर असुरक्षित हवा में सांस ले रहा है. अमेरिका में हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा की मदद से उन लोगों की संख्या के अनुमान का इस्तेमाल किया जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वायु प्रदूषण के सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से अधिक स्तर के प्रदूषण में जी रहे हैं.  वायु प्रदूषण सेहत के लिए पर्यावरण संबंधी सबसे बड़ा जोखिम है और विश्वभर में होने वाले मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है.  

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक
भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. और वायु प्रदूषण को भारत की सेहत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा माना जाता है. University of Chicago के The Energy Policy Institute ने Air Quality Life Index के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, कि अगर भारत World Health Organisation के मानकों के मुताबिक वायु प्रदूषण घटाने पर काम करे....तो पूरे देश के लोगों की ज़िंदगी औसतन... चार साल बढ़ सकती है. जबकि राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर...पूरे देश के लोग औसतन 1 साल ज़्यादा ज़िंदा रह सकते हैं. भारत की जनसंख्या करीब 133 करोड़ है और ऐसे में हमारे देश के हर व्यक्ति की उम्र अगर औसतन 4 साल बढ़ जाए.. तो कुल मिलाकर 532 करोड़ वर्ष का जीवनकाल बढ़ जाएगा. ये बहुत बड़ा और लंबा समय है

देश की राजधानी दिल्ली अगर WHO के मानकों का पालन करे...तो यहां रहने वाले लोग नौ साल ज़्यादा जी सकते हैं. जबकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण से जुड़े हुए राष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाए...तो लोगों की उम्र 6 साल बढ़ सकती है. इस रिपोर्ट में देश के 50 सबसे प्रदूषित ज़िलों का पूरा कच्चा-चिट्ठा दिया गया है. और कहा गया है, कि अगर ये सभी ज़िले वायु प्रदूषण को लेकर WHO और राष्ट्रीय मानकों का पालन करें...तो वहां रहने वाले लोगों की उम्र बढ़ जाएगी. इसमें दिल्ली का नाम तो है ही. साथ ही आगरा, बरेली, लखनऊ, कानपुर, मुज़फ़्फ़रपुर, सीतापुर, पटना और आज़मगढ़ जैसे कई शहरों और ज़िलों के नाम भी हैं. भारत के राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर इन ज़िलों में रहने वाले लोगों की उम्र साढ़े तीन साल से लेकर 6 साल तक बढ़ सकती है.

इनपुट भाषा से भी 

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