Mughal Empire Royal Cusine History: बाबर जब हिंदुस्तान में दाखिल हुआ तो वो करीब करीब लड़ाइयों में ही व्यस्त रहा. उसे शासन करने के लिए कम समय मिला, उसके निधन के बाद गद्दी पर हुमायूं काबिज हुआ. लेकिन उसके किस्मत से आगे बदकिस्मत चली. हुमायूं के बारे में कहा जाता है कि उसने जो भी फैसले किए वो गलत साबित हुए और हालात ये बना कि गद्दी, अफगानों के हाथ सौंपनी पड़ी. इन सबके बीच उसे जो भी समय मिला उसने खुद को पढ़ाई लिखाई तक सीमित कर लिया. लेकिन यहां हम बताएंगे कि उसका खानपान कैसा था. क्या उसने खानपान के क्षेत्र में कुछ नए डिश पर प्रयोग किया या जो कुछ बाबर के समय से चलता रहा उसको जारी रखा.


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खानपान पर ईरानी प्रभाव अधिक


हुमायूं के खानपान में ईरानी कल्चर का अधिक प्रभाव था, अब सवाल यह है कि वो तो मुगल था दिल्ली का बादशाह था को ईरान का असर कैसे हुआ. दरअसल जब शेरशाह सूरी ने उसे हराकर हिंदुस्तान छोड़ने के लिए विवश कर दिया तो वो ईरान के शाह की शरण में चला गया. ईरान में रहने के दौरान ही वो वहां के पाक कला से प्रभावित हुआ. जब उसे दोबारा दिल्ली आने का मौका मिला तो शाही व्यंजन में उन तौर तरीकों को शामिल किया. हुमायूं के पास विकल्पों की कमी नहीं थी लेकिन उसे अपने दूसरे कार्यकाल में शासन करने के लिए समय नहीं मिला था, हालांकि अल्पकाल में ही उसने कई तरह के प्रयोग करने की कोशिश की. खासतौर से शराब की चाहत अधिक थी लिहाजा उसने फ्रूट्स को भी शामिल किया.


खिचड़ी-शरबत का शौकीन


हुमायूं विशेष तौर पर खिचड़ी खाना पसंद करता था. यही नहीं वो शरबत का भी शौकीन था. खास बात यह थी कि उसकी पत्नी हमीदा जो ईरानी मूल की थी उसने खानपान में केसर और ड्राई फ्रूट को शामिल किया. इसके साथ ही पेय पदार्थों में फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जाता था इसके अलावा ड्रिंक को ठंडा रखने के लिए पहाड़ों से बर्फ मंगाता था. इस तरह से बाबर की तुलना में कुछ अधिक प्रयोग करने में आगे बढ़ा.