मुंबई के इस क्लब का मुख्यालय ब्रेबोर्न स्टेडियम में है. पाकिस्तान ने इमरान खान की कप्तानी में 1989 में यहां नेहरू कप में ऑस्ट्रेलिया को हराया था.
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मुंबई: भारतीय खेल बिरादरी ने सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले की एकसुर में निंदा की है. खिलाड़ी और खेल संघ ना सिर्फ इस हमले का अपने-अपने स्तर पर विरोध कर रहे हैं, बल्कि शहीदों के परिजनो की मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं. मुंबई के एक क्रिकेट क्लब ने तो हमले का अनूठा विरोध किया है. क्रिकेट क्लब आफ इंडिया (The Cricket Club of India) ने पुलवामा में हुए इस हमले के विरोध में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का पोस्टर ढक दिया.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए हैं. कई जवान गंभीर रूप से घायल हैं. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मुहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है. इसके बाद भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली, बॉक्सर विजेंदर कुमार समेत ज्यादातर खिलाड़ियों ने इसका विरोध किया. पूर्व कप्तान वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने शहीदों के बच्चों का खर्च उठाने का प्रस्ताव दिया. अब इसी कड़ी में क्रिकेट क्लब आफ इंडिया भी सामने आया है.
बीसीसीआई की मान्य इकाई सीसीआई (CCI) का मुख्यालय ब्रेबोर्न स्टेडियम (Brabourne Stadium) पर है. सीसीआई के समूचे परिसर में दुनिया भर के महान क्रिकेटरों की तस्वीरें हैं. इनमें पाकिस्तान के 1992 विश्व कप विजेता कप्तान इमरान खान की भी तस्वीर है, जिसे ढकने का निर्णय लिया गया है.
सीसीआई अध्यक्ष प्रेमल उदाणी ने कहा कि इस संबंध में फैसला शुक्रवार को लिया गया. उन्होंने कहा, ‘सीसीआई खेलों का क्लब है और हमारे यहां मौजूदा तथा अतीत के क्रिकेटरों की तस्वीरें हैं. हम मौजूदा घटनाक्रम पर इस तरीके से अपनी नाराजगी जताना चाहते थे. हमने अभी इसे ढक दिया है, लेकिन कह नहीं सकते कि इस पर से पर्दा कब हटाया जाएगा.’
इमरान भारत के खिलाफ दो बार ब्रेबोर्न स्टेडियम पर खेल चुके हैं. उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने 1989 में नेहरू कप मैच में यहां ऑस्ट्रेलिया को हराया था, जिसमें वे मैन आफ द मैच थे. पाकिस्तान ने 1992 में इमरान खान की कप्तानी में ही विश्व कप जीता था. उन्हें दुनिया के बेहतरीन कप्तानों में गिना जाता है. जब वे पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, तो उनसे भारतीयों को काफी उम्मीदें थीं. उम्मीद थी कि शायद वे आतंकियों पर नकेल कसेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है.
(इनपुट: भाषा)