अब कहा जा रहा है कि अगर परीक्षार्थियों को इन विषयों में जीरो नंबर मिलने के बावजूद एडमिशन मिलता है तो फिर टेस्ट देने की जरूरत ही क्या है.
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नई दिल्ली : 2017 में NEET के नतीजों के बाद चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. इस परीक्षा को देने वाले करीब 400 छात्र ऐसे हैं, जिनके फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी में सिंगल डिजिट में नंबर आए हैं. इनमें 110 छात्र तो ऐसे हैं, जिनके जीरो या माइनस मार्किंग के बाद उससे भी कम नंबर आए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें एमबीबीएस के कोर्स में एडमिशन मिल गया है. हालांकि एडमिशन देने वाले प्राइवेट कॉलेज हैं. इन एडमिशन के बाद इस प्रक्रिया पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.
अगर परीक्षार्थियों को इन विषयों में जीरो नंबर मिलने के बावजूद एडमिशन मिलता है तो फिर टेस्ट देने की जरूरत ही क्या है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर नियमों की बात की जाए तो इस परीक्षा में परीक्षार्थी को सभी सब्जेक्ट में कम से कम 50 फीसदी स्कोर करना जरूरी है. इसके बाद नियमों में बदलाव हुआ, इसमें पर्सेंटाइल सिस्टम को अपनाया गया. इसमें हर विषय में अनिवार्य नंबर की बाध्यता खत्म कर दी गई. इसका दुष्परिणाम अब सामने दिख रहा है कि कई निजी कॉलेज जीरो या सिंगल डिजिट नंबर लाने वाले छात्रों को भी प्रवेश दे रहे हैं.
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2017 में 1990 छात्र उन छात्रों के स्कोर को देखा गया, जिन्होंने नीट देकर एमबीबीएस के कोर्स में दाखिला लिया था, तो पाया गया कि इन्होंने 720 अंकों के स्कोर में 150 अंक से भी कम हासिल किए हैं. इनमें 530 स्टूडेंट तो ऐसे रहे, जिन्हों एक अंक में नंबर हासिल किए. कई के तो एक विषय में 0 से भी कम नंबर रहे.
ज्यादातर अमीर छात्रों ने लिया ऐसे एडमिशन
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि इन 530 स्टूडेंट्स में से 507 ने निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया है. इनकी औसत फीस 17 लाख प्रति वर्ष से ज्यादा है. इसमें होस्टल, मेस, लाइब्रेरी और दूसरी फीस शामिल नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो छात्र कम नंबर लाकर एमबीबीएस में दाखिला ले रहे हैं, वह कितने अमीर घरों से ताल्लुक रखते हैं.