इस OBC जाति को मिला था 10.5% आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया खारिज
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इस OBC जाति को मिला था 10.5% आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया खारिज

तमिलनाडु विधान सभा ने पिछले साल फरवरी में वन्नियार समुदाय को 10.5% आरक्षण (Reservation) देने के तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक (AIADMK) द्वारा पेश किए विधेयक को पारित कर दिया था. मौजूदा द्रमुक (DMK) सरकार ने इसके क्रियान्वयन के लिए जुलाई 2021 में एक आदेश पारित किया था.

इस OBC जाति को मिला था 10.5% आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया खारिज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) में अति पिछड़े समुदाय (MBC) वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में दिए गए 10.5 फीसदी आरक्षण (Reservation) को रद्द कर दिया है. जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने आरक्षण को रद्द कर दिया था.

  1. तमिलनाडु में OBC आरक्षण का मामला
  2. सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया 10.5% आरक्षण
  3. मद्रास हाई कोर्ट का फैसला बरकरार

सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘हमारी राय है कि वन्नियाकुल क्षत्रियों के साथ एमबीसी समूहों के बाकी के 115 समुदायों से अलग व्यवहार करने के लिए उन्हें एक समूह में वर्गीकृत करने का कोई ठोस आधार नहीं है और इसलिए 2021 का अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन है. इसलिए हम हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हैं.’

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सरकार ने पास किया था विधेयक

गौरतलब है कि तमिलनाडु विधान सभा ने पिछले साल फरवरी में वन्नियार समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण देने के तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक द्वारा पेश किए विधेयक को पारित कर दिया था. मौजूदा द्रमुक सरकार ने इसके क्रियान्वयन के लिए जुलाई 2021 में एक आदेश पारित किया.

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उसने एमबीसी को दिए कुल 20 फीसदी आरक्षण को विभाजित कर दिया था और जातियों को फिर से समूहों में बांटकर तीन अलग श्रेणियों में विभाजित किया तथा वन्नियार को 10 फीसदी उप-आरक्षण मुहैया कराया था. वन्नियार को पहले वन्नियाकुल क्षत्रिय के नाम से जाना जाता था.

(इनपुट: न्यूज़ एजेंसी भाषा के साथ)

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