क्रिश्चियन था दूल्हा और मुस्लिम थी दुल्हन, सनातन परंपरा से निभाई शादी की रस्‍म
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क्रिश्चियन था दूल्हा और मुस्लिम थी दुल्हन, सनातन परंपरा से निभाई शादी की रस्‍म

बरेली शहर के अगस्त्य मुनि आश्रम में हुई इस ईसाई-मुस्लिम शादी के गवाह कई लोग बने. इस शादी में ईसाई धर्म के सुमित ने मुस्लिम नूर की मांग भरकर सनातन धर्म की परंपरा निभाते हुए शादी कर ली.

 

फोटो: (सोशल मीडिया)

बरेली: उत्तर प्रदेश का बरेली (Bareilly) शहर एक अनूठी शादी का गवाह बना है. इस आयोजन की खास बात ये रही कि यहां दूल्हा क्रिश्चियन था तो दुल्हन मुस्लिम. शादी से पहले जोड़े ने सनातन धर्म अपनाने का फैसला लिया. बुधवार को दोनों अगस्त्य मुनि आश्रम में सात फेरे लेकर विवाह के बंधन में बंध गए. दूल्हे सुमित ने मांग में सिंदूर भरा. इस तरह नूर खुद को निशा बताते हुए पति के साथ विदा हो गई.

  1. क्रिश्चियन था दूल्हा और मुस्लिम दुल्हन
  2. फिर यूं बन गया सात जन्मों का बंधन
  3. सनानत परंपरा के तहत हुई अनूठी शादी

'चर्चा में है विवाह'

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर सुमित और वधू नूर का विवाह सनातन हिन्दू परंपरा के तहत हुआ. इस विवाह में गोद भराई और कन्यादान की रस्म हुई. वहां मौजूद लोगों ने इस जोड़े को आशीर्वाद दिया. सात जन्मों के बंधन में बंधने के बाद सुमित और नूर ने सभी का आभार जताया है. निशा ने कहा, 'मैं बालिग हूं. अपना भला-बुरा अच्छी तरह से सोचती समझती हूं. हिंदू धर्म में आस्था रखती हूं. इसी के चलते मर्जी से हिंदू धर्म अपनाकर सुमित के साथ शादी की है.'

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'तीन साल से जानते थे एक दूसरे को'

नूर से निशा बनी दुल्हन एमए (फाइनल) की छात्रा है. वहीं सुमित की कुछ दिन पहले नौकरी लगी है. दोनों तीन साल से एक दूसरे को जानते थे. नजदीकियों में परिजन रोड़ा बने तो दोनों हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं के संपर्क में आए. फिर बरेली के किला स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम में उनके विवाह की तैयारियां शुरू हुईं. आश्रम के महंत केके शंखधार ने विवाह की रस्म पूरी कराई.

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