उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण (Lawyer Prashant Bhushan) की अपील खारिज कर दी. प्रशांत भूषण ने सजा पर होने वाली बहस को टालने और समीक्षा याचिका लगाने का मौका देने की याचिका लगाई थी.
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण (Lawyer Prashant Bhushan) की अपील खारिज कर दी. प्रशांत भूषण ने सजा पर होने वाली बहस को टालने और समीक्षा याचिका लगाने का मौका देने की याचिका लगाई थी. सुनवाई में जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) ने कहा कि सजा पर बहस होने दीजिए, सजा सुनाये जाने के बाद हम तत्काल सजा लागू नहीं करेंगे. हम पुनर्विचार याचिका (Review Petition) पर फैसले का इंतजार कर लेंगे.
बचाव पक्ष की दलील
प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कोई आसमान नहीं टूट जाएगा, अगर कोर्ट प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई का इंतजार कर लेगा. दुष्यंत दवे ने ये भी कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने की अवधि 30 दिन है इसलिए पुनर्विचार याचिका जजों की कोई और बेंच भी सुन सकती है, कोई जरूरी नहीं है कि जस्टिस अरूण मिश्रा की यही बेंच ही सुनवाई करे.
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लेकिन अदालत ने आपराधिक अवमानना के लिए सजा के खिलाफ उनकी समीक्षा याचिका दायर करने और निर्णय आने तक उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा के बाद ही फैसला पूरा होता है. वहीं जस्टिस मिश्रा ने ये भी कहा कि इस मामले में उनकी बेंच से बचने की कोशिश हो रही है. गौरतलब है कि जस्टिस अरूण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं.
ये था मामला
उच्चतम न्यायालय को लेकर विवादित ट्वीट (controversial Tweet)करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया था.
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