#OliOnZee: भारत-नेपाल में है ये खास रिश्ता, PM ओली ने कही ये बात
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#OliOnZee: भारत-नेपाल में है ये खास रिश्ता, PM ओली ने कही ये बात

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) का कहना है कि भारत-नेपाल के संबंध राम-लक्ष्मण की तरह नहीं बल्कि दो संप्रभु देशों की तरह हैं, जिसमें कोई बड़ा और छोटा नहीं है. उन्होंने यह बात जी न्यूज को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही. 

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली

नई दिल्ली: भारत और नेपाल (India-Nepal) दो ऐसे देश हैं, जो पड़ोसी होने के साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक हैं. दोनों देशों के रिश्तों की तुलना अक्सर भगवान राम और लक्ष्मण (Ram-Laxman) से की जाती है. लेकिन क्या नेपाल के नेता भी ऐसा ही मानते हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने जी न्यूज को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने दोनों देशों के संबंधों के साथ ही अन्य मुद्दों पर भी बात की. 

  1. काठमांडू में एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने लिया इंटरव्यू
  2. 'हमारे संबंधों को दो सार्वभौम देशों की तरह जाना जाए'
  3. 'किसी भी मुद्दे पर बहस करना हमारी स्वस्थ परंपरा'

काठमांडू में एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने लिया इंटरव्यू

जी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) ने काठमांडू में पीएम केपी शर्मा ओली का इंटरव्यू लिया. इसमें उन्होंने ओली से सवाल पूछा कि भारत-नेपाल के रिश्तों को राम-लक्ष्मण की तरह माना जाता है, फिर ऐसी क्या बात हो गई कि छोटे भाई को अचानक बड़े भाई के साथ कोई बात खटकने लगी. इस पर ओली (KP Sharma Oli) ने डिप्लोमेटिक अंदाज में सवाल का जवाब दिया. ओली ने कहा,'आपका Question बताता है कि इंडिया राम हैं और हम लक्ष्मण हैं. इसके कई अर्थ होते हैं. इसका मतलब आप ये कह रहे हैं कि इंडिया बड़ा भाई है और हम उसके छोटे भाई हैं. मैं कहता हूं कि भूगोल- जनसंख्या में, देश छोटे- बड़े हो सकते हैं, लेकिन हम हमेशा से सार्वभौम समानता की बात करते हैं. अर्थात हम छोटे या बड़े नहीं मानते. 

'हमारे संबंधों को दो सार्वभौम देशों की तरह जाना जाए'

ओली (KP Sharma Oli) ने कहा कि यदि दो देशों को बड़े और छोटे के रूप में देखेंगे तो इसमें बॉस वाली फीलिंग आती है. इस सेंटिमेंट में कुछ दिक्कत है. हम चाहते हैं कि हमारे संबंधों को दो सार्वभौम देशों की तरह जाना जाए. उन्होंने कहा कि ये पुराना जमाना नहीं है और न ही उपनिवेशवाद का युग है. ये युग पारस्परिक सम्मान का है. यही एक ऐसी चीज है, जिसे हम सबको मानना चाहिए. ओली ने कहा कि भारत पहले अपने आपको बॉस समझता होगा लेकिन आज अपने को बॉस नहीं मानता. इसलिए उस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है.उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों पर डिबेट हो रही हैं और डिबेट चलनी भी चाहिए. डिबेट ही सत्य को बाहर लाता है. 

देखें वीडियो- 

'किसी भी मुद्दे पर बहस करना हमारी स्वस्थ परंपरा'

उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे पर चर्चा और बहस करना हमारी परंपरा भी है. जब दुनिया अंधकार में थी तो त्रेतायुग में जनकपुर में, याज्ञवल्क्य, गार्गी, अष्टावक्र वगैरह बहुत सारे ऋषि और विदूषियां विभिन्न मुद्दों पर शास्त्रार्थ करके लोगों को सही राह बताते थे. दुनिया में दर्शन का उदय यहीं से हुआ. हालांकि कुछ यूरोपियन दर्शन का उदगम अरस्तू से मानते हैं, लेकिन अरस्तू तो ईसा पूर्व 600 साल पहले के ही हैं. जबकि उससे 1500 साल पहले हमारे यहां पर दर्शन के बारे में विचार-विमर्श होता था. इसलिए बहस होनी अच्छी बात है बशर्ते कि ये स्वस्थ हो और सत्य को पता लगाने के मकसद से की जाए. 

 

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