उत्तर प्रदेश में हिंसा के बाद से लगातार बाबा का बुलडोजर आरोपियों पर कहर बरसा रहा है. लेकिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) इस बात पर नाराज नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर ओवैसी ने इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी बात रखी है.
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Bulldozer action UP: उत्तर प्रदेश में हिंसा के बाद से लगातार बाबा का बुलडोजर आरोपियों पर कहर बरसा रहा है. लेकिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) इस बात पर नाराज नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर ओवैसी ने इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी बात रखी है. जिसमें ओवैसी ने गिरफ्तार हुई आरोपी आफरीन फातिमा और टेनी के बेटे पर सरकार के अलग-अलग रवैये पर निशाना साधा है.
इस मामले में ओवैसी ने दो ट्वीट किए हैं. उन्होंने लिखा है, 'आफरीन फातिमा और उसके परिवार के साथ खड़े होते हुए, यह सवाल है कि टेनी के बेटे पर 5 लोगों की हत्या का आरोप है. SC ने उनकी जमानत रद्द कर दी है. लेकिन उनका घर सुरक्षित क्यों है. यति और उसके साथी खुलेआम घूम रहे हैं. हिरासत में प्रताड़ना करने वाले पुलिस वालों की प्रशंसा होती है लेकिन मुखर मुसलमान होना अपराध है.'
What happened to Modi’s & Yogi’s sympathy for Muslim women? 2/2
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 12, 2022
इसके बाद भी ओवैसी चुप नहीं हुए. उन्होंने एक दूसरा ट्वीट किया जिसमें उन्होंने सीधे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवालिया निशान लगाया है. उन्होंने यहां लिखा है, 'मुस्लिम महिलाओं के लिए मोदी और योगी की सहानुभूति का क्या हुआ?'
'शनिवार को ओवैसी ने पत्रकारों से कहा, 'नुपुर शर्मा को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. कानून के अनुसार, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. उन्हें इतने दिनों से गिरफ्तार नहीं किया गया है. आप उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं करते और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करते? आपको कौन रोक रहा है?'
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AIMIM के प्रमुख ने कहा कि पार्टी के संविधान का उल्लंघन करने के लिए उन्हें निलंबित करने की भाजपा की कार्रवाई से यह मुद्दा हल नहीं हो जाता और किसी को भी 'भारतीय संविधान के बारे में भी सोचना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करें, उन्हें कानून के अनुसार गिरफ्तार करें. हम मांग करते हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए और कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. अगर भाजपा गंभीर होती, तो वह उन्हें उसी वक्त बताती (कि उनके बयान आपत्तिजनक थे), लेकिन ऐसा करने में दस दिन लग गए.'
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