बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और तेजस्वी यादव के लिए असदुद्दीन ओवैसी ‘खलनायक’ साबित हुए. वैसे तो ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें जीती हैं, लेकिन तेजस्वी यादव को कई सीटों का नुकसान पहुंचाया है.
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पटना: बिहार में विपक्षी दलों का महागठबंधन भाजपा और खासकर PM मोदी के आगे फेल हो गया. यहां भाजपा नीत एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल गया है. देर रात चुनाव आयोग ने सभी 243 सीटों पर नतीजों को ऐलान कर दिया, जिसमें बीजेपी+ को 125 सीटें, जबकि महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली है और अन्य के खाते में 8 सीटें गई हैं.
सबसे बड़ा उलटफेर
विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) में आरजेडी ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की है. महागठबंधन की तरफ से आरजेडी को 75, कांग्रेस को 19 और सहयोगी लेफ्ट ने कुल 16 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसी तरह, भाजपा को 74 सीटें मिली हैं. जबकि जेडीयू को 43 और अन्य सहयोगी दल वीआईपी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 4-4 सीटें मिली हैं. इस चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owais) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) की पांच सीटों पर हुई जीत के लिहाज से हुआ है. यह जीत तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और संपूर्ण महागठबंधन के लिए करारा झटका साबित हुई है.
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...तो अलग होती स्थिति
सीधे शब्दों में कहें तो ओवैसी ने पांच सीटें जीतकर तेजस्वी यादव को 11 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है. यदि ओवैसी बिहार चुनाव में मैदान में नहीं उतरते, तो शायद तेजस्वी अपना सपना पूरा होते देखने की स्थिति में पहुंच सकते थे. चुनाव पूर्व ही यह लगभग साफ था कि मोदी ब्रांड वाली भाजपा को अपने पक्के वोट तो मिलने ही थे, लोगों ने गिने -चुने वोट नीतीश को भी दिए, लेकिन जो वोट नीतीश के खिलाफ महागठबंधन को मिलने थे वे बंट गए, क्योंकि ओवैसी बीच में आ गए.
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अनुमान निकला गलत
ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए मुस्लिम वोट और कुछ हद तक दलित वोट भी अपनी तरफ खींच लिए. जिसकी वजह से महागठबंधन की सीटों का आंकड़ा कम रह गया. बता दें कि बिहार के सीमांचल इलाके में 24 सीटे हैं, जिनमें से आधी से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम आबादी अधिक है. यहीं से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल की है. पहले माना जा रहा था कि सीमांचल के मुसलमान ओवैसी के बजाए महागठबंधन की पार्टियों को तरजीह देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
बदल गए समीकरण
आंकड़ों पर नजर डालें पूर्णिया की अमौर सीट पर लंबे समय से विधायक रहे कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान को इस बार 11 फीसदी के आसपास वोट मिले. जबकि AIMIM के अख्तर-उल-ईमान 55% से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रहे. इसी तरह, बहादुरगंज सीट पर कांग्रेस के तौसीफ 10 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा और ओवैसी की पार्टी को 47 फीसदी से अधिक मत मिले. इससे स्पष्ट होता है कि ओवैसी ने महागठबंधन के वोटबैंक में सेंध लगाकर उसकी जीत के रास्ते में रोड़ा अटका दिया.