इस शिक्षक ने मदरसे में बच्चों से राष्ट्रगान गवाया तो मुस्लिम कट्टरपंथी उनके खून के प्यासे हो गए थे.
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कमलाक्ष्य भट्टाचार्य, कोलकाता: पश्चिम बंगाल के काटजूनगर विद्यापीठ के प्रधान शिक्षक काज़ी मासूम अख्तर को जब पद्मश्री से सम्मानित करने की बात आई तो पूरे स्कूल के छात्रों के बीच जोश व ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी. लेकिन शिक्षक अख्तर के लिए यह आसान नहीं था. जब 2016 में कोलकाता के तालपुकुर आरा मदरसा में बच्चों से राष्ट्रगान गवाया तो मानो मुस्लिम कट्टरपंथी उनके खून के प्यासे हो गए थे. उनको बुरी तरह मारा गया और शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी उनको कोई न्याय नहीं मिला.
इस विषय में काज़ी मासूम अख्तर ने कहा, मुस्लिम समुदाय के लोगों के अंदर अभी भी चेतना जागरूक नहीं हुई है. आप जिस देश में रहते हैं और राष्ट्रगान मदरसा के बच्चों को नहीं गाने देते हैं तो गलत है. बच्चों के अंदर देश प्रेम होना जरूरी है और वो बचपन से ही सीखना चाहिए.
मुस्लिम मौलवियों की भी उतनी जिम्मेदारी बनती है कि समुदाय के लोगों और राष्ट्रहित में कार्य करें, जिससे देश प्रगति के रस्ते पर चले. इसके बाद शिक्षा जगत में अच्छे कार्य करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने 2017 में "काज़ी मासूम अख्तर" को शिक्षा रतन से सम्मानित भी किया.
2018 में मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक़ के खिलाफ एक लाख लोगों के हस्ताक्षर लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा था, ताकि ट्रिपल तलाक़ कानून से हो रहे महिलाओं के ऊपर अत्याचार को रोका जाए. लेकिन दिल्ली से लौटने के बाद मुस्लिम कट्टरपंथी ने उनके और उनके पिता को घेर में आकर जान से मरने की धमकी भी दी.
कट्टरपंथी ने कहा कि आप शरिया के खिलाफ काम कर रहे हैं. इसके बाद प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. लगभग ढाई साल हो गए लेकिन अभी तक अपने घर नहीं जा सका. हावड़ा जिले की आमता में जहां मेरा जन्म हुआ.
काटजूनगर विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षक ने कहा कि हमारे हेड टीचर इतने आत्मविश्वास से भरे और उत्साहित रहते हैं. किसी भी कार्य को करने के लिए उनका पूण सहयोग मिलता है. हमें समाज या शिक्षा से जुड़े किसी भी कार्य को करने की बात करे.
पद्मश्री सम्मानित "काज़ी मासूम अख्तर" ने कहा, आज जो सम्मान देश ने मुझे दिया है. इसके लिए मैं कृतज्ञ हूं. भारत सरकार के प्रति और आने वाले समय पर देश के लोगों के लिए कार्य करता रहूंगा.