जज ने कहा- 'पति हर बार नहीं होता गलत', तलाक केस में कोर्ट ने शख्स को दी बड़ी राहत
Advertisement
trendingNow11027846

जज ने कहा- 'पति हर बार नहीं होता गलत', तलाक केस में कोर्ट ने शख्स को दी बड़ी राहत

सेशन कोर्ट (Sessions Court) ने निचली अदालत द्वारा पत्नी को प्रतिमाह 25 हजार रुपये के गुजाराभत्ता देने के आदेश को रद्द कर दिया. सत्र अदालत ने कहा कि पति-पत्नी के विवाद में हर बार पति गलत नहीं होता है, इसलिए अदालतों को पुरुष का पक्ष भी सुनना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: पारिवारिक विवाद (Family Dispute) के एक मामले में सेशन कोर्ट ने शख्स को बड़ी राहत दी है और निचली अदालत के फैसले को तर्क-विहीन करार देते हुए कहा है कि पति-पत्नी के विवाद में हर बार पति गलत नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि अदालतों को पुरुष का पक्ष भी सुनना चाहिए और इसके बाद ही कोई फैसला देना चाहिए.

  1. 25 हजार गुजाराभत्ता देने का आदेश रद्द
  2. पति 40 लाख रुपये एलीमनी के तौर पर दे चुका है
  3. कोर्ट ने निचली अदालत के पास दोबारा विचार के लिए भेजा

25 हजार गुजाराभत्ता देने का आदेश रद्द

सेशन कोर्ट (Sessions Court) ने निचली अदालत द्वारा पत्नी को प्रतिमाह 25 हजार रुपये के गुजाराभत्ता देने के आदेश को रद्द कर दिया. सत्र अदालत ने कहा कि पति के पास सबूत मौजूद हैं, जिससे पता चलता है कि वह पहले ही पत्नी को एकमुश्त 40 लाख रुपये एलीमनी के तौर पर दे चुका है.

ये भी पढ़ें- भैंस के दूध नहीं देने से परेशान किसान पहुंच गया थाने, फिर पुलिस ने ऐसे निकाला समस्या का समाधान

महिला को हर माह मिलता है 34 हजार रुपये ब्याज

अदालत ने कहा कि पति की तरफ से जमा किए गए सबूतों से पता चलता है कि साल 2014 में उसने पत्नी को 40 लाख रुपये एलीमनी के तौर पर दिए थे और इस रकम पर पत्नी को कई सालों से हर माह 34 हजार रुपये का ब्याज मिलता है. इसके बावजूद निचली अदालत ने 25 हजार रुपये का गुजाराभत्ता देने का आदेश दे दिया. इस तरह पत्नी को हर महीने 59 हजार रुपये गुजाराभत्ते के तौर पर मिल रहे थे, जो पति की मासिक आय से कहीं ज्यादा है.

कोर्ट ने निचली अदालत के पास दोबारा विचार के लिए भेजा

लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत ने इस मामले को दोबारा विचार के लिए निचली अदालत में भेजा है. सत्र अदालत (Sessions Court) ने निचली अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर संबंधित अदालत पीड़िता को 25 हजार रुपये गुजाराभत्ता राशि ही दिलाना चाहती थी तो उसे यह निर्देश देना चाहिए था कि एलीमनी के तौर पर मिले 40 लाख रुपये के ब्याज में से 25 हजार अपने पास रखकर बाकी 9 हजार रुपये अपने पति को लौटाए, लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की तैयारी

महिला ने 40 लाख रुपये लेने के बाद भी नहीं लिया तलाक

दरअसल, पति-पत्नी अलग रह रहे थे और साल 2014 में दोनों ने आपसी सहमति से कोलकाता की अदालत में तलाक के लिए याचिका दायर की थी. पहली तारीफ पर पति ने 20 लाख रुपये पत्नी के खाते में जमा करा दिए, जबकि दूसरी तारीफ से पहले 20 लाख रुपए और जमा करा दिए. हालांकि 40 लाख रुपये लेने के बावजूद पत्नी अंतिम सुनवाई पर नहीं पहुंची. इसके बाद अदालत ने कई तारीखें दी, लेकिन महिला नहीं पहुंची तो कोर्ट ने तलाक याचिका को खारिज कर दिया था.

लाइव टीवी

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news