कश्मीर की नई सुबह: जम्मू, श्रीनगर, डोडा के हालात सामान्य, राज्यपाल ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी आर्टिकल 370 को समाप्त करने की सिफारिश की घोषणा के बाद राज्य में किसी तरह की अप्रिय स्थिति का समाचार नहीं है.
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी आर्टिकल 370 को समाप्त करने की सिफारिश की घोषणा के बाद राज्य में किसी तरह की अप्रिय स्थिति का समाचार नहीं है. श्रीनगर में आज सुबह लोगों को घरों से निकलकर आस-पास बात करते देखा गया. ऐतिहासिक घोषणा के करीब 24 घंटे बीतने के बाद जम्मू, श्रीनगर और डोडा में हालात सामान्य है. बीती देर रात राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा के संबंध में समीक्षा बैठक की. इसमें हालात की जानकारी ली गई.
हालांकि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के बेहद पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जम्मू कश्मीर के हर इलाके में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई हैं. कश्मीर घाटी में मोबाइल फोन और इंटरनेट की सेवा बंद कर दी गई हैं. जम्मू कश्मीर के सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद करने के आदेश दिए. 5 अगस्त को विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं भी अगले आदेश तक कैंसिल कर दी गई हैं. सरकार ने एयरलाइंस कंपनियों से किराए घटाने को लेकर आदेश दिए हैं.
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जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) को हिरासत में ले लिया गया गया है. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं को अपने-अपने घरों से निकालकर हरि सिंह पैलेस में शिफ्ट किया गया है. रविवार देर शाम दोनों नेताओं को अपने-अपने घरों में नजरबंद कर दिया गया था. यहां आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल-2019 पेश किया, जिसके पक्ष में 125 वोट और विपक्ष में 61 वोट पड़े. इस बिल को पेश करने से पहले सरकार ने एहतियातन जम्मू कश्मीर में चौकसी बढ़ा दी है. भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए हैं. साथ ही दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) को नजरबंद कर दिया गया था. इससे पहले महबूबा ट्विटर पर ऑडियो जारी किया था, जिसमें कहा था कि आज का दिन इतिहास का सबसे काला दिन है.
अब कैसा होगा जम्मू एवं कश्मीर राज्य का स्वरूप?
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले के बाद जम्मू एवं कश्मीर राज्य का स्वरूप कुछ इस तरह होगा. जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 :
- केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का गठन होगा
- इसमें कारगिल और लेह जिले शामिल होंगे
- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर का गठन होगा
- इसमें लद्दाख और लेह के अलावा बाकी सभी इलाके शामिल होंगे.
राज्यपाल का दर्जा :
- मौजूदा जम्मू एवं कश्मीर राज्य के राज्यपाल अब केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख के उपराज्यपाल होंगे.
राज्यसभा में प्रतिनिधित्व :
- जम्मू एवं कश्मीर के चार मौजूदा राज्यसभा सदस्य केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर के सदस्य होंगे. उनके कार्यकाल यथावत रहेंगे.
लोकसभा में प्रतिनिधित्व :
- केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें होंगी.
- केंद्र शासित लद्दाख में एक लोकसभा सीट होगी.
उपराज्यपाल, जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा :
- केंद्र शासित पुडुचेरी के लिए लागू अनुच्छेद 239ए में मौजूद प्रावधान केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर के लिए भी लागू होंगे.
- पाकिस्तानी कब्जे वाली 24 सीटें खाली रहेंगी (पहले की विधानसभा में जिस तरह खाली रहती थीं.)
- उपराज्यपाल विधानसभा में दो महिला सदस्यों को नामित कर सकते हैं.
- विधानसभा का कार्यकाल पांच साल होगा (पहले छह साल था).
- केंद्रीय कानून केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में लागू होंगे.
सरकार ने विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन का प्रस्ताव किया :
- विधानसभा सीटों का पुनर्गठन होगा और सीटों के नक्शे तैयार किए जाएंगे.
- फिलहाल जम्मू क्षेत्र में 37 विधानसभा सीटें हैं और कश्मीर में 46 सीटें.
अनुच्छेद 370 ने क्या रोक रखा था :
- सूचना का अधिकार का क्रियान्वयन.
- शिक्षा का अधिकार.
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जांच.
- कश्मीर में महिलाओं के लिए शरिया कानून से आजादी.
- पंचायतों को अधिकार.
- हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण.
- देश के अन्य राज्यों के नागरिकों को कश्मीर में जमीन खरीदने या जमीन का स्वामित्व रखने से.