गरीबी क्या ना कराए! सब्जी की औकात नहीं तो, फूलों से ही चला रहे काम
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गरीबी क्या ना कराए! सब्जी की औकात नहीं तो, फूलों से ही चला रहे काम

गुजर-बसर के लिए इन चाय श्रमिकों को चाय के बागान में मौजूद पेड़ों से फूल तोड़ कर उसकी सब्जी बनाकर खाते देखा गया. यह नजारा देखना तो हमारे लिए किसी तकलीफ से कम नहीं था और साथ ही मजदूरों को उम्मीद है की एक दिन सब्जियों के दाम कम हो जाएंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ. 

पश्चिम बंगाल में फूल की सब्जी खाने को मजबूर हैं श्रमिक.

कोलकाता: बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं और इसी के चलते माल बाजार के गरीब चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों को अब चाय बागान में मौजूद पेड़ के फूल को सब्जी के रूप में पका कर खाना पड़ रहा है. सर्दियों के वक्त सब्जियों के दाम आमतौर पर बढ़ जाते हैं, जिसके चलते मध्यमवर्ग और गरीब जनता को मजबूरन फूल की सब्जी खानी पड़ रही है. 

माल बाजार में अमूमन चाय के बागान है. जहां पर गरीब मजदूर चाय बागान में पत्तियों को तोड़कर अपनी जिंदगी गुजारते हैं, मगर इनकी आय के हिसाब से इतनी महंगी सब्जी और फल खरीदना उनके हाथ से बाहर है. 

गुजर-बसर के लिए इन चाय श्रमिकों को चाय के बागान में मौजूद पेड़ों से फूल तोड़ कर उसकी सब्जी बनाकर खाते देखा गया. यह नजारा देखना तो हमारे लिए किसी तकलीफ से कम नहीं था और साथ ही मजदूरों को उम्मीद है की एक दिन सब्जियों के दाम कम हो जाएंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ. इसी के चलते आम आदमी से लेकर चाय श्रमिकों की चिंता बढ़ गई है. इसीलिए अब चाय बागान के यह फूल ही इनका आखिरी सहारा है जिसे तोड़कर कर यह मजदूर लोग सब्जी बनाकर खाते हैं. 

मजदूरों का कहना है कि जो पैसा वह कमाते हैं उससे परिवार चलाना बहुत ही मुश्किल है और इसी मज़बूरी के चलते हमे इस विकल्प को चुनना पड़ा क्योंकि और कोई साधन हमारे पास नहीं है, जिस दिन सब्ज़ियों के दाम कम हो जाएंगे उस दिन सब्ज़ी खरीद कर खाएंगे.

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