Pervez Musharraf: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ की उत्तर प्रदेश के बागपत में एक जमीन थी, जिसे सरकार की तरफ से नीलाम कर दिया गया था. अब इस जमीन से जल्द ही उनका नाम मिटने वाला है, क्योंकि इसकी पहली किस्त जमा कर दी गई है.
Trending Photos
Pervez Musharraf: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ से जुड़ी बागपत वाली जमीन से जल्द है उनका नाम खत्म होने वाला है. शत्रु संपत्ति घोषित होने के बाद सरकार ने इस जमीन की नीलामी करवा दी थी. नीलामी के दौरान यह जमीन 1 करोड़ से भी ज्यादा रुपयों में गई. कहा जा रहा है कि नीलाम हुई संपत्ति की 25 प्रतिशत रकम जमा करवा दी गई है और दूसरी किस्त जमान होने के बाद यह जमीन बागपत के किसानों की हो जाएगी. उत्तर प्रदेश के बागपत के कोताना में गांव में कोताना गांव में परवेज मुशरर्फ के परिजनों की 13 बीघा जमीन थी. एक जानकारी के मुताबिक परवेज मुशर्रफ की मां इसी गांव में दुल्हन बनकर आई थी.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली जाने से पहले परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां वारेन बेगम कोताना में रहते थे, जबकि दिल्ली में उनका परिवार गोलचा सिनेमा के पास दरियागंज में नहर किनारे एक हवेली में रहता था. 2001 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के दौरान परवेज़ मुशर्रफ ने दिल्ली के दरियागंज में नहरवाली का दौरा किया, जहां उनका जन्म हुआ था. इसके अलावा साल 2005 में मुशर्रफ की मां अपने बेटे जावेद मुशर्रफ और पोते (मुशर्रफ के बेटे) बिलाल के साथ नहरवाली हवेली भी देखने आईं. इससे पहले भी वह 1982 में दरियागंज आई थीं.
परवेज मुशर्रफ के पूर्वजों के पास कोताना में एक घर था, जो स्थानीय लोगों के स्वामित्व में आया, उनके रिश्तेदार हुमायूं इस घर में रहते थे और बाद में इसे स्थानीय लोगों को बेच दिया और देश छोड़ दिया, इसकी जमीन घर को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की इस संपत्ति की नीलामी के लिए मूल कीमत 139,600 रुपये तय की गई थी, लेकिन अंतिम बोली 138,160,000 रुपये में बिकी.
1965 और 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान भारत से पाकिस्तान की ओर पलायन हुआ था. उसी समय भारत सरकार ने भारतीय रक्षा अधिनियम के डिफेंस इंडिया रूल्स फ्रेमवर्क के तहत पाकिस्तानी नागरिकों की संपत्ति और कंपनियों को जब्त कर लिया था. सरकार ने इन संपत्तियों को 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दिया था. जिसकी संरक्षक भारत सरकार होती है. भारत में शत्रु संपत्ति से संबंधित मामलों को संभालने के लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत सरकार को शत्रु संपत्ति को जब्त करने, प्रबंधित करने और बेचने का अधिकार दिया गया है.