शिक्षा को राज्य सूची से हटाने के खिलाफ Madras High Court में याचिका, अदालत ने केंद्र को जारी किया नोटिस
Advertisement
trendingNow1986323

शिक्षा को राज्य सूची से हटाने के खिलाफ Madras High Court में याचिका, अदालत ने केंद्र को जारी किया नोटिस

शिक्षा को राज्य सूची (State List) से हटाकर समवर्ती सूची (Concurrent List) में डालने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. इस पर मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.

मद्रास हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) में शिक्षा को राज्य सूची (State List) से हटाकर समवर्ती सूची (Concurrent List) में डालने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

  1. 'केंद्र ने संघीय ढांचे का किया उल्लंघन'
  2. कोर्ट ने केंद्र और राज्य को जारी किए नोटिस
  3. संघीय ढांचे को नहीं पहुंचा कोई नुकसान- केंद्र
  4.  

'केंद्र ने संघीय ढांचे का किया उल्लंघन'

बताते चलें कि अरराम सेया विरुम्बु ट्रस्ट (Arram Seiya Virumbu Trust) ने कोर्ट में याचिका दायर की है. ट्रस्ट ने कोर्ट से संविधान के 42वें संशोधन कानून 1976 की धारा 57 को असंवैधानिक घोषित करने का आग्रह किया है. ट्रस्ट ने दावा किया है कि केंद्र ने शिक्षा को समवर्ती सूची में शामिल कर संघीय ढांचे को बिगाड़ दिया है. जो संविधान की एक बुनियादी विशेषता है.

ट्रस्ट की ओर से DMK के विधायक डॉ. इझिलन नागनाथन ने कोर्ट में याचिका दायर की है. डॉ. इझिलन नागनाथन ने कहा कि राज्य के विषय के रूप में शिक्षा की पूर्व स्थिति को बहाल किया जाना चाहिए. इसके लिए संवैधानिक संशोधन की धारा 57 को खत्म किया जाए. 

कोर्ट ने केंद्र और राज्य को जारी किए नोटिस

याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी. डी. औदिकेशावालु ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए. कोर्ट (Madras High Court) ने दोनों सरकारों को इस मामले में 8 सप्ताह के भीतर जवाबी एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दस सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी. 

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ वकील एन. आर. एलंगो ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि संसद संविधान की सातवीं अनुसूची में शामिल किसी विषय को इकतरफा तरीके से दूसरी सूची में नहीं ले जा सकती. इसके लिए राज्यों से भी सहमति हासिल करना जरूरी है. 

ये भी पढ़ें- छात्र अब अपनी मर्जी से चुन सकते हैं कोर्स, नई शिक्षा नीति किसी भी दबाव से मुक्‍त: PM मोदी

उन्होंने तर्क दिया कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे बड़े लोकतंत्रों में, शिक्षा को एक राज्य/प्रांतीय विषय के रूप में माना जाता रहा है. वकील ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन से ऐसी स्थिति पैदा होगी, जिसमें स्वायत्तता की स्थिति अस्थिर होगी. शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के अधिकारों को पूरी तरह से छीन लिया जाएगा. उन्होंने तर्क दिया कि यह संघीय ढांचे की जड़ पर प्रहार करेगा.

संघीय ढांचे को नहीं पहुंचा कोई नुकसान- केंद्र

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर. शंकरनारायणन ने कहा कि शिक्षा को राज्य सूची (State List) से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया है. इसलिए इससे देश के संघीय ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने इस संबंध में एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा. जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. 

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news