INS Vishal Cost, Weight, Height and Capacity: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार (2 सितंबर) को भारतीय नौसेना (Indian Navy) को पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) सौंप दिया. समुद्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच सरकार लगातार भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ा रही है और इसके साथ ही नेवी के लिए एक और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तैयारी भी शुरू हो गई है.
भारतीय नौसेना (Indian Navy) में आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को शामिल करने के बाद एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विशाल (INS Vishal) बनाने की तैयारी है, जो भारत में बना दूसरा एयरक्राफ्ट होगा. आईएनएस विशाल को भारतीय नौसेना के कोचीन शिपयार्ड में बनाया जाएगा और यहा आईएनएस विक्रांत से ज्यादा लंबा-चौड़ा, ऊंचा और वजनी होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत के पास वर्तमान समय में दो एयरक्राफ्ट कैरियर मौजूद हैं. 2 सितंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किए गए आईएनएस विक्रांत के अलावा भारत के पास रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार आईएनएस विक्रमादित्य भी मौजूद है. आईएनएस विक्रांत देश में बना पहला और सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है, जबकि आईएनएस विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आईएनएस विशाल (INS Vishal) 65 हजार टन वजनी हो सकता है, जबकि आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) और आईएनएस विक्रमादित्य का वजन 45 हजार टन के करीब है. इस युद्धपोत की लंबाई 284 मीटर हो सकती है, जबकि आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर और आईएनएस विक्रमादित्य की लंबाई भी 284 मीटर है. आईएनएस विशाल की ऊंचाई 60 मीटर और चौड़ाई भी 60 मीटर हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आईएनएस विशाल (INS Vishal) पर एक साथ करीब 55 फाइटर प्लेन तैनात होने की उम्मीद है, जबकि आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) पर करीब 35 और आईएनएस विक्रांत (INS Vikrat) पर 30 फाइटर प्लेन तैनात हो सकते हैं. आईएनएस विशाल की अधिकतम स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकती है और इसकी अधिकतम रेंज 14 हजार किलोमीटर होने की संभावना है, जबकि आईएनएस विक्रांत की अधिकतम स्पीड 50-52 किलोमीटर प्रति घंटे है. आईएनएस विक्रांत को 1600 लोगों के रहने के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि आईएनएस विशाल में एक साथ 2300 लोग रह सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आईएनएस विशाल में प्लेन का लॉन्चिंग पैड आईएनएस विशाल और आईएनएस विक्रमादित्य से बिल्कुल अलग होगा. आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के डेक आगे की ओर थोड़े उठे हुए हैं, लेकिन आईएनएस विशाल का डेक फ्लैट यानी सपाट होगा और प्लेन की लॉन्चिंग व लैंडिंग के लिए CATOBER लॉन्च सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. बता दें कि आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य में लॉन्चिंग-लैंडिंग के लिए STOBAR लॉन्च सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आईएनएस विशाल (INS Vishal) की संभावित लागत 55 हजार करोड़ रुपये है, जबकि आईएनएस विक्रांत (INS Vikrat) को बनाने में 20 हजार करोड़ रुपये में खर्च हुए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मई 2012 में तत्कालीन नेवी चीफ एडमिरल निर्मल वर्मा ने बताया था कि देश में बनने वाले तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए स्टडी की जा रही है और तब आईएनएस विशाल (INS Vishal) की चर्चा शुरू हुई थी. साल 2020 आईएनएस विशाल के नेवी में शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन कई कारणों से ये प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया. साल 2018 में भी भारतीय नौसेना ने संभावना जताई थी कि आईएनएस विशाल का निर्माण कार्य 2021 तक शुरू हो जाएगा. अब संभावना जताई जा रही है कि साल 2030 तक आईएनएस विशाल नेवी में शामिल हो जाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत के आसपास के समुद्री इलाकों खास कर हिंद महासागर में पिछले कुछ सालों में चीन अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में भारत को अपने समुद्र तटों की सुरक्षा के लिए आईएनएस विशाल (INS Vishal) जैसे बड़े और मॉर्डर्न तकनीक वाले एयरक्राफ्ट कैरियर्स की जरूरत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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