(शरद अवस्थी) पंजाब के नंगल में रहने वाले शहीद कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) के पिता सतपाल कालिया (Satpal Kalia) ने अपने घर की छत पर एक तोप का मॉडल बनवाया है. ये तोप काफी दूर से साफ साफ नजर आती है. इस तोप का मुंह पाकिस्तान की तरफ रखा गया है.
सतपाल कालिया (Satpal Kalia) ने बताया, 'कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) भारतीय सेना की 12 जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फेंट्री में थे. जब जंग शुरू होती है तो सबसे पहले इन्फेंट्री का सिपाही बंदूक लेकर आगे जाता है, लेकिन बंदूक का मॉडल बनाना आसान नहीं था. इसलिए तोप का मॉडल बनवाया. कैप्टन अमोल कालिया हमेशा पाकिस्तान पर गोलियां बरसाते रहे, इसलिए इस तोप का मुंह भी पाकिस्तान की तरफ करके रखा गया है.'
कारगिल युद्ध में कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) ने अदम्य साहस दिखाया था. युद्ध के वक्त जब कैप्टन अमोल कालिया की टुकड़ी में मशीनगन ऑपरेट कर रहा सैनिक शहीद हो गया तो कैप्टन अमोल कालिया ने खुद मशीनगन उठाई और जमीन पर चलाई जाने वाली मशीनगन को कंधों पर रखकर चारों तरफ घुमा दिया और पाकिस्तान के कई सैनिकों को ढेर कर दिया.
कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) सेना में शामिल होने के बाद कुछ करके दिखाना चाहते थे और कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें इसका मौका भी मिला. माउंटेन वॉर में एक्सपर्ट कैप्टन अमोल कालिया और उनकी टीम ने बटालिक के दुर्गम इलाके में प्वाइंट 5203 को मुक्त करवाने के लिए असंभव सी दिखने वाली जंग लड़ी और जीतने में कामयाबी भी हासिल की. इस चोटी को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करवाने के दौरान कैप्टन अमोल कालिया अदम्य वीरता और साहस दिखाते हुए महज 25 साल की उम्र में शहीद हो गए.
कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) ने इंटर के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग की इंट्रेस परीक्षाओं के अलावा एनडीए की परीक्षा भी पास की थी, लेकिन दूसरे क्षेत्रों में मौका होने के बावजूद अमोल कालिया ने इंडियन आर्मी को चुना. इसकी वजह कैप्टन अमोल कालिया के पिता सतपाल कालिया ने बताई. उन्होंने कहा, 'मैं एक टीचर था बच्चों को देश के लिए प्राण न्यौछावर करने की शिक्षा देता था. मेरे दिमाग में आता था कि मैं अपने बच्चों से ही शुरुआत करूं और मेरे ही कहने पर मेडिकल और इंजीनियरिंग को छोड़कर अमोल इंडियन आर्मी में गए थे.'
कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) के शिक्षक पिता ने उन्हें देशप्रेम का जो पाठ सिखाया था उसे कैप्टन कालिया आखिरी सांस तक नहीं भूले. मरणोपरांत कैप्टन अमोल कालिया के सर्वोच्च बलिदान को वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
ट्रेन्डिंग फोटोज़