कोरोना वायरस से निपटने के लिए उत्तर रेलवे के सभी मंडल और कारखाने कोरोना से लड़ी जाने वाली जंग के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. COVID-19 के खिलाफ लड़ने के अपने निरंतर प्रयासों में उत्तर रेलवे द्वारा पहले ही कई महत्वपूर्ण पहल की जा चुकी हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मालगाड़ियों को चलाने के अलावा, उत्तर रेलवे ने सैनिटाइजर, फेस मास्क और कवरॉल का निर्माण करने के साथ-साथ रेल डिब्बों को आइसोलेशन वार्डों में बदलने का कार्य शुरू कर दिया है.
रेलवे ने बुधवार को बताया था कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वह अपनी फैक्ट्रियों का इस्तेमाल जरूरी चिकित्सा उपकरण बनाने के लिए कर सकता है. इस बारे में तमाम संभावनाओं को खंगाला जा रहा है. भारतीय रेल की उत्पादन इकाइयों को जरूरत पड़ने पर आवश्यक चिकित्सा सामग्री के उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा गया है.
उत्तर रेलवे ने नोवेल कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के प्रयासों के तहत ट्रेनों की 40 यात्री बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर दिया है. उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा, "कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के अपने निरंतर प्रयासों के तहत सभी उत्तर रेलवे की कार्यशालाओं में कार्य प्रगति पर है.
अब तक 40 एलएचबी बोगियों (कोच) को संदिग्ध कोरोना रोगियों के लिए एकांतवास वार्ड के रूप में कार्य करने के लिए परिवर्तित किया गया है. कुमार ने कहा कि उत्तर रेलवे की कार्यशालाओं में सैनिटाइजर, फेस मास्क व अन्य जरूरी चीजों का उत्पादन पूरे जोरों पर है, जिसमें प्रतिदिन 700 लीटर सैनिटाइजर बनाने की क्षमता है. कुमार ने यह भी कहा कि उत्तर रेलवे की दो कोच वर्कशॉप प्रतिदिन 700 फेस मास्क बनाने के लिए तैयार हैं. उत्तर रेलवे द्वारा मेडिकल स्टाफ के लिए भी जरूरी चीजों को तैयार किया जा रहा है.
भारतीय रेलवे ने मंगलवार को कहा था कि रेलवे अपने 20,000 पैंसेजर ट्रेन कोचों को क्वारंटाइन केंद्रों में तब्दील करेगा, ताकि बुरी स्थिति में 3.2 लाख से ज्यादा बेडों की व्यवस्था की जा सके. नेशनल ट्रांस्पोर्टर ने कहा, "भारतीय रेलवे द्वारा निर्णय लिया गया है कि देश में क्वारंटाइन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 20,000 कोचों को क्वारंटाइन या आइसोलेशन कोच में बदला जाएगा." मंत्रालय ने कहा कि कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने के लिए सशस्त्र बल मेडिकल सेवा, कई जोन के मेडिकल विभाग, आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य मंत्रालय से परामर्श लिया गया.
मंत्रालय के बयान के अनुसार, "इन मोडिफाइड 20,000 कोचों में 3.2 लाख संभावित बेड की व्यवस्था की जा सकती है." बयान के अनुसार, 5000 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है. बयान के अनुसार, इन 5000 कोचों में 80,000 बेडों तक की क्षमता है और एक कोच में आइसोलेशन के लिए 16 बेड है.
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