भारत और कनाडा की कुल आबादी.
कुल आबादी में सिखों का प्रतिशत.
कनाडा की कुलआबादी में सिखों की संख्या.
सबसे अहम ब्रिटिश कोलम्बिया ही कनाडा का एक ऐसा प्रांत है, जहां सबसे ज्यादा सिख रहते हैं.
इस प्रांत में सिखों की कुल आबादी 2 लाख से ज्यादा है और ये कुल आबादी में 4.6 प्रतिशत है.
अब हम यहां कनाडा के प्रधानमंत्री से ये कहना चाहते हैं कि वो ब्रिटिश कोलम्बिया के एक हिस्से या इस पूरे प्रांत को ही खालिस्तान घोषित क्यों नहीं कर देते?
अगर ब्रिटिश कोलम्बिया के एक हिस्से को तोड़कर खालिस्तान नाम का नया देश बना भी दिया जाए, तब भी कनाडा क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना रहेगा.
ऐसा करने पर कनाडा को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
और इससे खालिस्तान की मांग भी पूरी हो जाएगी.
अब हम आपको कुछ और आंकड़े बताते हैं.
कनाडा में कुल सिखों की आबादी लगभग 5 लाख है जबकि भारत में ये संख्या 2 करोड़ 8 लाख है.
अगर दोनों देशों की कुल आबादी में सिखों की जनसंख्या देखें तो कनाडा में सिख 1.4 प्रतिशत हैं और भारत की कुल जनसंख्या में सिख 1.7 प्रतिशत हैं.
क्षेत्रफल के लिहाज से कनाडा का सबसे बड़ा प्रांत है ब्रिटिश कोलम्बिया, जो 24 लाख 46 हजार 852 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है.
जबकि भारत में पंजाब राज्य का कुल क्षेत्रफल 50 हजार 362 वर्ग किलोमीटर है. कनाडा के अकेले ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत में पंजाब जैसे 49 राज्य समा सकते हैं.
क्यूबेक-यहां सिखों की आबादी तो मात्र 9 हजार है लेकिन महत्वपूर्ण ये है कि इस प्रांत से भी एक सिख सांसद कनाडा की संसद में जरूर पहुंचता है.
ओंटारियो- यहां सिखों की आबादी लगभग 1 लाख 80 हजार है और सबसे अहम इस प्रांत से कुल 121 सांसद चुन कर कनाडा की पार्लियामेंट में पहुंचते हैं, जिनमें से 10 सांसद सिख हैं, तो खालिस्तान के खाली स्थान को भरने लिए कनाडा का ओंटारियो भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
अल्बर्टा- सिखों की आबादी 50 हजार से ज्यादा है और इसी क्षेत्र से तीन सिख सांसद भी कनाडा की संसद में पहुंचे हैं. यानी खालिस्तान नाम का देश बनाने के लिए ये प्रांत भी अच्छी पसंद हो सकता है.
तो हमने आपको कनाडा के उन प्रांतों के बारे में आपको बताया, जिनमें से किसी एक को खालिस्तान घोषित करके कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कई समस्याओं को हल कर सकते हैं. वो ऐसा करके भारत के उन किसानों का भी दिल जीत सकते हैं, जो खालिस्तान की मांग करते हैं. यानी खालिस्तान की मांग बस एक हस्ताक्षर दूर है और ये हस्ताक्षर करना है, जस्टिन ट्रूडो को. हमें लगता है कि ऐसा करना उनकी राजनीति को भी काफी सूट करेगा. वो इसलिए क्योंकि कनाडा की संसद में कुल सीटों की संख्या 338 है, जिनमें से 18 सीटों पर सांसद, सिख हैं.
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