महाराष्ट्र में करीब 5 लाख लोग दूसरा डोज लगवाने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में यदि दोनों डोज के बीच का अंतर 4 से 6 सप्ताह से ज्यादा हो जाता है, तो भी घबराएं नहीं. टीकाकरण के बाद होने वाली प्रतिकूल घटनाओं को रोकने के लिए बनी राष्ट्रीय समिति के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा कहते हैं कि यदि दो डोज के बीच का अंतर 8-10 सप्ताह तक भी बढ़ जाता है, तो भी लोग दूसरा डोज ले सकते हैं. इससे दोनों डोज के प्रभाव पर कोई असर नहीं होगा. ना ही ऐसे लोगों को फिर से पहला डोज लेने की जरूरत होगी.
वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) पुणे की इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. विनीता बाल कहती हैं कि दूसरा डोज, पहले डोज के इम्यून रिस्पांस को बढ़ाने के लिए है. ऐसे में दूसरा डोज लेने के लिए बुजुर्गों को टीकाकरण केंद्र की भीड़ से बचना चाहिए. वरना वहां उनके संक्रमित होने का खतरा है.
इससे पहले सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन के 2 डोज के बीच के अंतर को बढ़ा दिया था. इसे 4 हफ्ते से बढ़ाकर 12 हफ्ते कर दिया गया था.
डॉ. बाल कहती हैं कि कुछ मामलों में ट्रायल से जुड़े मुद्दों के कारण कुछ लोगों को दूसरा डोज 12 हफ्ते बाद भी दिया गया. फिर भी उनमें पहले डोज का प्रभाव काफी अच्छा था.
अन्य देशों में कोविशील्ड के 2 डोज के बीच अंतराल भारत से ज्यादा रखा गया है. यूके में जहां इसके लिए अंतराल 12 सप्ताह है, वहीं कनाडा में 16 सप्ताह का है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सीएमसी वेल्लोर में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर गगनदीप कंग बताया कि इंग्लैंड में किए गए एक अध्ययन (यूके के वेरिएंट पर) में सामने आया कि कोविशील्ड के पहले डोज ने लक्षण वाले कोविड-19 से 65% और बीमारी के गंभीर होने से 80% सुरक्षा दी है.
विशेषज्ञों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति पहला डोज लेने के बाद कोविड संक्रमित होता है और ठीक होने में उसे 6-10 सप्ताह लगते हैं, तो भी उसे ठीक होने के बाद दूसरा डोज लेना चाहिए.
इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन (IPA) के कार्यकारी निदेशक और गुजरात कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. नवीन ठाकुर कहते हैं कि टीकाकरण में ज्यादा अंतराल होना ज्यादा असरकारक होता है. कोवैक्सीन के मामले में 4 से 6 सप्ताह का अंतराल है, लेकिन यह गैप इससे ज्यादा हो सकता है. कुल मिलाकर देरी होने के बाद भी लोगों को दूसरा डोज लेना चाहिए.
यहां तक की बच्चों के टीकाकरण में भी यही नियम फॉलो होता है कि जहां से उनका टीकाकरण बीच में छूटता है, उसे वहीं से शुरू किया जाता है. भले ही इस दौरान कितना भी अंतराल आए. जबकि उनका इम्यून सिस्टम वयस्कों की तुलना में कमजोर होता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़