कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) को लेकर आज भी लोगों को ज़हन में कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब उन्हें नहीं मिला है. इसमें सबसे अहम सवाल है कि 'वैक्सीन लगने के बाद कितने दिनों तक टीके का असर रहता है?' आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं इसका जवाब...
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीन सबसे बेहतर विकल्प है. ये आपके इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाता है, जिससे बीमार होने का खतरा कम हो जाता है. हालांकि इसका असर हमेशा के लिए नहीं बल्कि कुछ निश्चित अवधि तक होता है.
अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Disease Control and Prevention) ने 4000 स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स पर वैक्सीनेशन के बाद स्टडी की है. इसमें पाया गया है कि फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की वैक्सीन 6 महीने तक लोगों को वायरस से बचा सकती है. जबकि अन्य कुछ वैक्सीन का असर 6 महीने से सालभर तक माना जा रहा है.
इसके अलावा मॉडर्ना (Moderna) वैक्सीन को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि दोनों डोज लेने के 6 महीने बाद तक के लिए कोरोना का डर नहीं रहता. मॉडर्ना वैक्सीन से तैयार होने वालीं एंटी-बॉडीज 6 महीने तक शरीर में रहती हैं. हालांकि किसी शख्स का बीमार होना एंटी-बॉडीज के अलावा उसके इम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करता है. अगर इम्यूनिटी जितनी स्ट्रांग होगी कोरोना का रिस्क उतना ही कम होगा.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैक्सीन एक्सपर्ट ने कहा कि फिलहाल जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनका असर कम से कम एक साल रह सकता है. लेकिन आगे चलकर कोरोना के नए वैरिएंट्स चिंता की वजह बन सकते हैं. क्योंकि अगर वायरस के म्यूटेंट बदलते हैं तो फिर वैक्सीन को भी अपडेट किए जाने की जरूरत पड़ेगी.'
जब हमारा इम्यून सिस्टम जरूरत से ज्यादा स्ट्रांग हो जाता है तो रोगों से लड़ने के बजाय हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगता है. इसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं. इसमें इम्यून सेल फेफड़ों के पास जमा हो जाते हैं और उसपर हमला करने लगते हैं. इससे खून की नसें फटना और खून के थक्के बनने लगते हैं. इस स्थिति को जांच और इलाज के बाद नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन कोविड-19 के मरीजों के केस में कुछ भी कहना मुश्किल है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़