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IIT कानपुर का कमाल, बनाई इमर्जेंसी में काम आने वाली Oxygen बोतल; जानें इसकी कितनी कीमत

कानपुर: कोरोना महामारी की दूसरी लहर (Corona second wave) में इस बार ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी ने लोगों को काफी दिक्कत में डाला है. इसी समस्या को देखते हुए आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने 'स्वासा' ऑक्सीराइज (Swasha Oxyrise) बनाया है. यह शरीर के आक्सीजन लेवल को बढ़ाता है. यह एक बोतलनुमा उपकरण है. जिसे कहीं भी बड़े आराम से ले जाया जा सकता है और इमरजेंसी में ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं. इसे आईआईटी कानपुर इंक्यूबेशन सेंटर में बनाया गया है. यह पोर्टेबल ऑक्सीजन कैनेस्टर है.

आईआईटी कानपुर कैंपस

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आईआईटी कानपुर कैंपस

आईआईटी के इंक्यूबेटेड सेंटर में कई स्टार्टअप कंपनियां संचालित होती हैं. डॉ. संदीप ने बताया कि प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में उनकी कंपनी के मास्क की प्रशंसा की थी. वहीं राममंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में भी पीएम पूरे समय स्वासा के मास्क को पहने रहे. ये वही कैंपस है जहां से देश के लिए कई चमत्कारी खोज और कोरोना काल की गणनाएं हुई हैं. इस कैंपस से भी देश के नामचीन इंजीनियर निकलते हैं.

 

 

फाइल फोटो साभार: (iitk)

स्वासा के मास्क भी कारगर

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स्वासा के मास्क भी कारगर

डॉक्टर संदीप की कंपनी मास्क भी बनाती है. स्वासा के बने फेस मास्क का इस्तेमाल देश के पीएम नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. ज्ञात हो कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि-पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी कानपुर द्वारा बनाए हुए मास्क को पहना था. इस मास्क को आईआईटी कानपुर में इनक्यूबेटेड कंपनी ई-स्पिन ने बनाया था.

 

(फोटो साभार: swasa)

बोतल में डाली जिंदगी !

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बोतल में डाली जिंदगी !

इसकी 180 ग्राम की एक बोतल में 10 लीटर ऑक्सीजन कंप्रेस की गयी है. एक बोतल में ऑक्सीजन के 200 सौ शाट लिए जा सकते हैं. यह बोतल महज 499 में रुपए में उपलब्ध है. डॉ. संदीप ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में इतनी जाने गयी की मन कचोट गया, तभी इस विकल्प को तैयार करने की पहल की गयी है. यह पोर्टेबल और इमरजेंसी में काफी काम आने वाला उत्पाद है. यह प्रतिदिन 500-600 के बीच में तैयार किया जा रहा है. इसकी मांग पूरे देश से आ रही है. इसकी बिक्री कंपनी की बेवसाइट स्वासा डॉट इन ने भी शुरू कर दी है.

 

(फोटो साभार: IANS)

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और सिलेंडर का विकल्प

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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और सिलेंडर का विकल्प

निर्माताओं ने कहा कि इसे फर्स्ट एड बॉक्स में इसे शामिल किया जा सकता है. इसे कोरोना काल के लिए रख सकते हैं. यह समाज की जरूरत है. यह कोरोना के अलावा अस्थमा मरीजों, ऊंची जगहों पर तैनात सेना के जवानों के लिए काफी कारगर है. इसे मेडिकल किट में बहुत आसानी से रखा जा सकता है. अचानक से यदि किसी का ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है, तो यह अस्पताल ले जाने में काफी सहायक हो सकता है. इसे मास्क के अंदर स्प्रे करके ऑक्सीजन ले सकते हैं. यह ज्यादा समय तक टिका रहेगा. यह आक्सीजन को बूस्ट करेगा. यह बहुत अच्छा पोर्टेबल कनेस्टर है.

 

(प्रतीकात्मक तस्वीर: reuters)

पोर्टेबल ऑक्सीजन बोतल

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पोर्टेबल ऑक्सीजन बोतल

इसे आईआईटी कानपुर इंक्यूबेशन सेंटर में बनाया गया है. ई स्पिन और जैसोलैब ने मिलकर महामारी के दौरान इसे बनाया गया है. यह मेडिकल इमरजेन्सी में काफी कारगर साबित हो सकता है. लेकिन अति गंभीर मामले में इसका प्रयोग नहीं हो सकता है.'

 

फोटो साभार: IANS

बड़ी उपलब्धि

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बड़ी उपलब्धि

IIT कानपुर के पूर्व छात्र और ई स्पिन नैनोटेक के निदेशक डॉ. संदीप पाटिल ने बताया कि, 'देश में कोरोना संकट को देखते हुए ई स्पिन नैनोटेक ने श्वासा ऑक्सीराइज बनाया है. यह बॉडी के अंदर के ऑक्सीजन को बढ़ाता है. दूसरी लहर में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए इसे तैयार किया गया.'

 

फोटो साभार: IANS

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